गन्ना

गन्ने का आईस्पॉट रोग

Bipolaris sacchari

फफूंद

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संक्षेप में

  • शुरुआत में पत्तियों के दोनों तरफ़ लाल से धब्बे।
  • बाद में, लंबाकार धब्बे जिनके किनारे लाल से भूरे होते हैं।

में भी पाया जा सकता है

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गन्ना

लक्षण

रोगाणु प्रवेश के 1-3 सप्ताह के अंदर बी. सैशरी से संक्रमित गन्ने की पत्तियों पर धब्बे दिखने लगते हैं, जो पत्ती की दोनों सतहों पर छोटे लाल से चकत्तों के रूप में दिखाई देते हैं। ये धब्बे लंबाकार हो जाते हैं और लंबवत अक्ष मुख्य शिराओं के समानांतर रहता है। किनारे लाल से भूरे होते हैं। धब्बे का केंद्र धूसर या पीला-भूरा हो जाता है। ये धब्बे एक के बाद एक पाए जा सकते हैं और लंबी धारियां बना लेते हैं। गंभीर संक्रमण होने पर गन्ने की पौध बुवाई के 12-14 दिन बाद शीर्ष सड़न के कारण झुलस कर मर सकती है।

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जैविक नियंत्रण

दुर्भाग्य से, बाइपोलरिस सैशरी के विरुद्ध कोई ज्ञात वैकल्पिक उपचार उपलब्ध नहीं है। हमारा आप से अनुरोध है कि अगर आपके पास इस रोग का मुकाबला करने में मददगार कोई जानकारी है, तो हमसे संपर्क करें। हमें आपके उत्तर की प्रतीक्षा रहेगी।

रासायनिक नियंत्रण

रोकथाम उपायों के साथ-साथ उपलब्ध जैविक उपचारों को लेकर हमेशा एक समेकित कार्यविधि पर विचार करें। 0.2% कॉपर ऑक्सीक्लोराइड या 0.3% मैंकोज़ेब का 10 से 15 दिन पर दो से तीन बार छिड़काव करें। छिड़काव रोग की गंभीरता के आधार पर किया जाना चाहिए।

यह किससे हुआ

आईस्पॉट बीजाणुओं (कोनिडिया) से संचारित होता है, जो पत्तियों के घावों में बड़ी संख्या में उत्पादित होते हैं और हवा और बारिश से फैल जाते हैं। फफूंद के बीजाणु के अंकुरण को नमी और ओस से बढ़ावा मिलता है। पुरानी पत्तियों के मुकाबले नई पत्तियों में बसावट ज़्यादा तेज़ होती है। बीज से संचार नहीं होता है। उपकरणों और औज़ारों या फिर मानव गतिविधियों से संचार की भी समस्या पेश नहीं आती है।


निवारक उपाय

  • बाज़ार में उपलब्ध किस्मों में से प्रतिरोधी किस्मों का इस्तेमाल करें।
  • यह रोग की रोकथाम का सबसे प्रभावी तरीका है।

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