देखभाल
नीचे की अनचाही सूखी तथा हरी पत्तियों को नियमित अंतराल पर हटाना (डिट्रेशिंग) एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है क्योंकि आवश्यक प्रकाश संश्लेषण के लिए ऊपर की सिर्फ़ आठ से दस पत्तियाँ ही आवश्यक होती हैं। डिट्रेशिंग को रोपाई से 150 दिनों के बाद गन्ना बनने के बाद किया जाना चाहिए और फिर द्विमासिक अंतराल पर किया जाना चाहिए। एक बार रोपने के बाद, गन्ने को कई बार काटा जा सकता है। प्रत्येक कटाई के बाद, गन्ने से नए डंठल निकलते हैं। प्रत्येक कटाई के बाद उपज कम होती जाती है और इसलिए कुछ समय बाद इसे फिर से रोपा जाता है। व्यावसायिक परिस्थितियों में, ऐसा 2 से 3 कटाई के बाद किया जाता है। कटाई हाथ से या मशीनों से की जाती है।
मिट्टी
गन्ना विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उपजाया जा सकता है, हालाँकि अच्छी जलनिकासी वाली, गहरी, दोमट मिट्टी आदर्श होती है। गन्ने के विकास के लिए मिट्टी में 5 और 8.5 के बीच का पीएच आवश्यक होता है, आदर्श श्रेणी 6.5 है।
जलवायु
गन्ना भूमध्य रेखा के 36.7 डिग्री उत्तर तथा 31.0 डिग्री दक्षिण के अक्षांशों के मध्य उष्णकटिबंधीय या उपउष्णकटिबंधीय मौसम में उगने के लिए अनुकूल है। तनों की कलमों के अंकुरित होने के लिए आदर्श तापमान 32 से 38 डिग्री से. है। 1100 से लेकर 1500 मिमी. तक कुल वर्षा आदर्श है क्योंकि इसे लगभग 6 से 7 महीनों के लगातार समय के लिए प्रचुर मात्रा में पानी की आवशयकता होती है। विकास के चरम समय के दौरान गन्ने के तेज़ी से लंबा होने के लिए उच्च आर्द्रता (80 - 85%) अनुकूल होती है।