आम

आम के तनों के सिरे की सड़न (स्टेम एंड रॉट)

Lasiodiplodia theobromae

फफूंद

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संक्षेप में

  • फल, छाल, पत्तियाँ बदरंग हो जाती हैं।
  • शाखाएं सूखने लगती हैं।
  • पत्तियाँ झड़ने लगती हैं।

में भी पाया जा सकता है

1 फसलें

आम

लक्षण

टहनियाँ और शाखाएं सूख जाती हैं, जिसके कारण टहनियां नोक से मुरझाने लगती हैं और पत्तियों का झड़ना शुरू हो जाता है। पत्तियों का रंग गहरा हो जाता है और किनारें ऊपर की ओर मुड़ जाते हैं। टहनियाँ मर सकती हैं और पेड़ से गिर सकती हैं। संक्रमण के स्थान के इर्दगिर्द फोड़े दिखाई देते हैं जो बाद में गलन (प्रभावित पौधे के हिस्से का काला पड़ना) और लकड़ी के सूखने का कारण बनेंगे। शाखाओं से गोंद की बूंदें रिस सकती हैं, जो बाद में अधिकांश शाखाओं पर फैल सकती हैं। फलों की सड़न ज़्यादातर तुड़ाई के बाद देखी जाती है और तने के सिरे से शुरू होती है। प्रभावित भाग पहले धूसर रंग का और बाद में काला हो जाता है। गंभीर मामलों में फल पूरी तरह से सड़े और सिकुड़े हुए तथा काले पड़ सकते हैं। फल का गूदा भी बदरंग हो जाता है। डंठल से सटा फल का केंद्रिय हिस्सा गहरे रंग का हो जाता है। प्रभावित हिस्सा बड़ा होकर गोलाकार, काला धब्बा बन जाता है जो नम मौसम में तेज़ी से फैलने लगता है और दो या तीन दिनों में फल को पूरी तरह काला कर देता है। गूदा भूरा और नरम पड़ जाता है।

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जैविक नियंत्रण

बेसिलस सबटिलिस और ज़ैंथोमोनस ओरिज़ा पीवी का उपयोग रोग के प्रबंधन के लिए किया जा सकता है। ट्राइकोडर्मा हर्ज़िनियम भी लगाया जा सकता है।

रासायनिक नियंत्रण

अगर उपलब्ध हों तो हमेशा जैविक उपचार के साथ निवारक उपायों के मिलेजुले दृष्टिकोण पर विचार करें। रोग के प्रकोप से बचने के लिए छंटाई के बाद बड़े घावों पर फफूंदनाशक (पेंट, लेप) लगाया जा सकता है। रोग की गंभीरता को कम करने के लिए कार्बेन्डाज़िम (50 गीला करने योग्य चूर्ण) या थियोफ़ेनेट-मिथाइल (70 गीला करने योग्य चूर्ण) का 1 पीपीएम ए.आई. या ज़्यादा की दर से छिड़काव करें। देखा गया है कि तुड़ाई से 15 दिन पहले कार्बेन्डाज़िम (0.05%) और प्रोपिकोनाज़ॉल (0.05%) का छिड़काव करने से स्टेम एंड रॉट को काफ़ी कम किया जा सकता है। तुड़ाई के बाद गरम पानी और कार्बेन्डाज़िम का उपचार स्टेम एंड रॉट के विरुद्ध आंशिक रूप से कारगर रहता है। नियंत्रित वातावरण भंडारण के दौरान स्टेम एंड रॉट को काबू करने के लिए, गरम कार्बेन्डाज़िम के बाद प्रोक्लोरैज़ का दोहरा उपचार आवश्यक है।

यह किससे हुआ

नुकसान का कारण मिट्टी में पैदा होने वाला कवक लैसियोडिप्लिडिया थियोब्रोमे है, जो कई पौधों को संक्रमित करता है और सभी उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। यह खेत में और भंडारण में फसल को नुकसान पहुंचाता है। यह फसल अवशेषों पर फलने वाले अंशों (पिक्निडिया) के रूप में जीवित रहता है। बीजाणु हवा और बारिश के छींटों से फैल सकते हैं और ताज़े कटे या क्षतिग्रस्त पौधों के हिस्सों से मेज़बान पौधों में प्रवेश कर सकते हैं। पानी की कमी वाले पौधों में अधिक गंभीर लक्षण दिखते हैं। उच्च तापमान और अधिक वर्षा रोग के लिए अनुकूल हैं।


निवारक उपाय

  • अच्छी स्वच्छता बनाए रखें।
  • गीले मौसम के दौरान छंटाई से बचें और इसके कारण होने वाले घावों को कम करें।
  • पौधों के संक्रमित हिस्सों को काट दें।
  • तोड़े गए फलों को 20 मिनट के लिए 48 डिग्री सेल्सियस गरम पानी में डुबोएं।
  • अपने फलों को 10 डिग्री सेल्सियस या कम के तापमान में स्टोर करें।

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