भिंडी

Abelmoschus esculentus


पानी देना
मध्यम

जुताई
प्रत्यक्ष बीजारोपण

कटाई
80 - 100 दिन

श्रम
निम्न

सूरज की रोशनी
पूर्ण सूर्य

pH मान
5.8 - 6.8

तापमान
16°C - 40°C

उर्वरण
मध्यम


भिंडी

परिचय

ओकरा (एबेल्मोशस एस्कुलेंटस), जिसे भिन्डी के नाम से भी जाना जाता है, को विश्व भर में ऊष्णकटिबंधीय तथा गर्म शीतोष्ण क्षेत्रों में उपजाया जाता है। इसका मूल्य इसकी बीजों की फलियों पर निर्भर होता है, जो ताज़ी तोड़े जाने पर खाने योग्य होती हैं। फलों के सूखे छिलकों और रेशों का उपयोग कागज़, कार्ड बोर्ड और रेशे बनाने के लिए किया जाता है। जड़ों और तने का उपयोग गुड़ के निर्माण में गन्ने के रस को शुद्ध करने में किया जाता है।

सलाहकार

देखभाल

देखभाल

मिट्टी की अच्छी तरह जुताई की जानी चाहिए तथा उसमें खाद अच्छी तरह मिली हुई होनी चाहिए। ओकरा के लिए मध्यम मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है, जिसके लिए आदर्श रूप से नियमित अंतराल पर ड्रिप सिंचाई की जानी चाहिए। ओकरा की खेती के लिए खरपतवार प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका कटाई का समय लम्बा होता है, और खरपतवार की बढ़त से इस पर प्रभाव पड़ सकता है। कीटों और रोगों के प्रकोप को कम करने के लिए फसल चक्रीकरण सहायक हो सकता है।

मिट्टी

ओकरा को विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में उगाया जा सकता है। यह सर्वोत्तम रूप से जैविक तत्वों से भरपूर ढीली, भुरभुरी, अच्छी जलनिकासी वाली बलुही दोमट मिट्टी में उगता है। यदि अच्छी जलनिकासी हो, तो यह भारी मिट्टी में भी अच्छी उपज देता है। इस पौधे के लिए अभीष्ट पीएच श्रेणी 6.0 - 6.8 है। क्षारीय, खारी मिट्टी या ख़राब जलनिकासी वाली मिट्टी इस फसल के लिए उपयुक्त नहीं है।

जलवायु

भिंडी गर्मी और सूखे के प्रति विश्व की सर्वाधिक सहनशील सब्ज़ियों में से एक है; एक बार स्थापित हो जाने के बाद, यह भीषण सूखे की परिस्थितियों को भी सहन कर लेती है। परंतु, ओकरा सर्वोत्तम रूप से ऊष्ण और आर्द्र परिस्थितियों में उगता है, जहाँ तापमान की श्रेणी 24-27 डिग्री से. हो।

संभावित बीमारियां

भिंडी

इसके विकास से जुड़ी सभी बाते प्लांटिक्स द्वारा जानें!


भिंडी

Abelmoschus esculentus

भिंडी

प्लांटिक्स एप के साथ स्वस्थ फसलें उगाएं और अधिक उपज प्राप्त करें!

परिचय

ओकरा (एबेल्मोशस एस्कुलेंटस), जिसे भिन्डी के नाम से भी जाना जाता है, को विश्व भर में ऊष्णकटिबंधीय तथा गर्म शीतोष्ण क्षेत्रों में उपजाया जाता है। इसका मूल्य इसकी बीजों की फलियों पर निर्भर होता है, जो ताज़ी तोड़े जाने पर खाने योग्य होती हैं। फलों के सूखे छिलकों और रेशों का उपयोग कागज़, कार्ड बोर्ड और रेशे बनाने के लिए किया जाता है। जड़ों और तने का उपयोग गुड़ के निर्माण में गन्ने के रस को शुद्ध करने में किया जाता है।

मुख्य तथ्य

पानी देना
मध्यम

जुताई
प्रत्यक्ष बीजारोपण

कटाई
80 - 100 दिन

श्रम
निम्न

सूरज की रोशनी
पूर्ण सूर्य

pH मान
5.8 - 6.8

तापमान
16°C - 40°C

उर्वरण
मध्यम

भिंडी

इसके विकास से जुड़ी सभी बाते प्लांटिक्स द्वारा जानें!

सलाहकार

देखभाल

देखभाल

मिट्टी की अच्छी तरह जुताई की जानी चाहिए तथा उसमें खाद अच्छी तरह मिली हुई होनी चाहिए। ओकरा के लिए मध्यम मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है, जिसके लिए आदर्श रूप से नियमित अंतराल पर ड्रिप सिंचाई की जानी चाहिए। ओकरा की खेती के लिए खरपतवार प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका कटाई का समय लम्बा होता है, और खरपतवार की बढ़त से इस पर प्रभाव पड़ सकता है। कीटों और रोगों के प्रकोप को कम करने के लिए फसल चक्रीकरण सहायक हो सकता है।

मिट्टी

ओकरा को विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में उगाया जा सकता है। यह सर्वोत्तम रूप से जैविक तत्वों से भरपूर ढीली, भुरभुरी, अच्छी जलनिकासी वाली बलुही दोमट मिट्टी में उगता है। यदि अच्छी जलनिकासी हो, तो यह भारी मिट्टी में भी अच्छी उपज देता है। इस पौधे के लिए अभीष्ट पीएच श्रेणी 6.0 - 6.8 है। क्षारीय, खारी मिट्टी या ख़राब जलनिकासी वाली मिट्टी इस फसल के लिए उपयुक्त नहीं है।

जलवायु

भिंडी गर्मी और सूखे के प्रति विश्व की सर्वाधिक सहनशील सब्ज़ियों में से एक है; एक बार स्थापित हो जाने के बाद, यह भीषण सूखे की परिस्थितियों को भी सहन कर लेती है। परंतु, ओकरा सर्वोत्तम रूप से ऊष्ण और आर्द्र परिस्थितियों में उगता है, जहाँ तापमान की श्रेणी 24-27 डिग्री से. हो।

संभावित बीमारियां