Colomerus vitis
घुन
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लक्षण सम्बद्ध घुन के प्रकार, अंगूर की प्रजाति तथा वातावरण की परिस्थितियों पर निर्भर करते हैं। सबसे आम लक्षण वसंत के अंत में दिखाई देते हैं, जब नई पत्तियों की ऊपरी सतह ऊपर की ओर उभर आती है और छाले जैसी सूजन (एरिनियम भी कहा जाता है) में विकसित हो जाती है। इन उभरे हिस्से के नीचे की दरारों में सफे़द से गुलाबी लाल रंग के छोटे बारीक़ बालों की परत पाई जाती है। छोटे पारदर्शी घुन इन घने बालों की परत से सुरक्षित रहते हैं। बाद में, सूजन और बाल, जो उन्हें अन्दर ढांके रहते हैं, सूख जाते हैं और कत्थई से रंग के हो जाते हैं। कुछ देशों में ये घुन अलग प्रकार की हानि पहुंचाते हैं, उदाहरण के लिए, आधारीय पत्तियों में विकृति के साथ-साथ कलियों में विकृति तथा पत्तियों का मुड़ना।
शिकारी घुन गेलेंड्रोमस ओसिडेंटलिस छाले उत्पन्न करने वाले घुन को खाता है तथा उनकी संख्या को कम करने में प्रभावी पाया गया है। कीटनाशक साबुन तथा नीम के तेल का भी प्रयोग किया जा सकता है, किन्तु ये लाभप्रद कीटों की जनसंख्या भी कम कर सकते हैं। इसके आगे, भिंगोये जाने योग्य सल्फ़र से उपचार भी सहायक हो सकता है।
हमेशा समवेत उपायों का प्रयोग करना चाहिए, जिसमें रोकथाम के उपायों के साथ जैविक उपचार का उपयोग किया जाए। छाले उत्पन्न करने वाले घुन पर स्पाइरोटेट्रामेट का सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है। ध्यान रखें कि यौगिक के अवशोषण के लिए पर्याप्त पत्तियाँ हों तथा दो प्रयोगों के मध्य 30 दिन का समय दें। भिंगोये जाने लायक सल्फ़र का भी प्रयोग किया जा सकता है।
पत्तियों पर छालों जैसी बढ़त कोलोमेरस विटिस के कारण होती है। दिखाई देने वाले लक्षणों के बावजूद इसे अंगूर का एक प्रमुख कीट नहीं माना जाता है। छोटे, रस अवशोषित करने वाले कीट मुख्यतः लताओं को प्रभावित करते हैं। पत्तियों की बाहरी त्वचा को खाते हुए वे कोशिकाओं में हार्मोन जैसा पदार्थ प्रवेश कर देते हैं, जो पत्तियों के विकास को बदल देता है, जिसके कारण विशिष्ट सूजन दिखाई देती है। छाले उत्पन्न करने वाला घुन सर्दियों में अंगूर के पौधों में जीवित रहता है, उदाहरण के लिए कलियों की परतों के नीचे छिपकर। ये वसंत में सक्रिय होते हैं जब ये नई पत्तियों के निचले हिस्से पर पहुँचते हैं और उन्हें खाना आरंभ करते हैं। गर्मियों के अंत में, वे पत्तियों से बाहर निकलते हैं और सर्दियों के लिए आश्रय लेते हैं। पत्तियों के निचले हिस्से के खोल को गलती से अन्य कवकीय रोग, जैसे कि काली फफूंदी नहीं समझना चाहिए। ऊष्ण आर्द्र मौसम में पत्तियों की तेज़ बढ़वार के समय लक्षण अधिक तीव्र होते हैं, किन्तु घुन का फलों की पैदावार पर हानिकारक प्रभाव नहीं दिखाई देता है।