शिमला मिर्च एवं मिर्च

मिर्च में जीवाणुओं के कारण नरम सड़न (बैक्टीरियल सॉफ़्ट रॉट)

Pectobacterium carotovorum subsp. carotovorum

बैक्टीरिया

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संक्षेप में

  • पत्तियों के नाड़ी ऊतक गहरे हो जाते हैं।
  • पत्तियाँ पहले हरिमाहीन हो जाती हैं और बाद में गलना शुरू हो जाती हैं।
  • फलों और टहनियों पर पानी सोखे हुए घाव।
  • फलों के डंठल का रंग फीका पड़ जाता है।
  • उनमें से गन्दी बदबू भी आ सकती है।

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शिमला मिर्च एवं मिर्च

लक्षण

शुरुआती लक्षणों में अक्सर पत्तियों पर काले नाड़ी ऊतक और गली हुई जगह दिखाई देती है। धँसे हुए, पानी सोखे हुए घाव दिखाई देते हैं जो बड़ी जल्दी टहनियों, फलों और फलों के डंठलों पर फैल जाते हैं। जैसे-जैसे रोग बढ़ता है, तने पर सूखे, गहरे भूरे या काले रंग के फोड़े हो सकते हैं, जिससे अक्सर शाखा टूट जाती है। अंत में, पूरा फल गल जाता है, नरम होकर सड़ने लग जाता है। यह पौधे पर ऐसे लटकता है जैसे पानी से भरा हुआ थैला। सामान्य तौर पर, रोगग्रस्त ऊतकों में जीवाण्विक रिसाव देखे जा सकते हैं और गन्दी बदबू आ सकती है। प्रभावित पौधे मुरझा जाते हैं और बाद में नष्ट हो जाते हैं।

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जैविक नियंत्रण

क्षमा करें, पेक्टोबैक्टीरियम कैरोटोवोरम, उपप्रजाति कैरोटोवोरम, का कोई और उपचार हम नहीं जानते। इस रोग से लड़ने के लिए अगर आपके पास कोई जानकारी हो, तो कृपया हमें बताएं। हमें आपके जवाब का इंतज़ार रहेगा।

रासायनिक नियंत्रण

यदि उपलब्ध हो, तो जैविक उपचार के साथ बचाव के उपाय भी साथ में करें। सड़न को ज़्यादा बढ़ने से रोकने के लिए सोडियम हाइपोक्लोराइट के घोल द्वारा बीजों और काटे हुए फलों का रासायनिक उपचार करने से फ़ायदा हो सकता है। उदाहरणस्वरूप, बीजों को 30 सेकंड तक 1% सोडियम हाइपोक्लोराइट सोल्यूशन (ब्लीच) में डालें और बाद में उन्हें साफ़ स्वच्छ पानी से धो लें।

यह किससे हुआ

मिट्टी में पनपने वाले जीवाणु जो सड़न पैदा करते हैं वे पर्यावरण में हर जगह होते हैं। वे मिट्टी और सतही जल से जुड़े होते हैं। संक्रमण गर्म और नम मौसम में ज़्यादा होता है। खेती, कीट डंक और सूर्य की गर्मी के दौरान उत्पन्न घावों के द्वारा बैक्टीरिया पौधे में प्रवेश करता है। पेक्टोबैक्टीरियम कैरोटोवोरम, उपप्रजाति कैरोटोवोरम, के कई धारक पौधे होते हैं, जैसे आलू, शक्करकंदी, कसावा, प्याज़, पत्ता गोभी, गाजर, टमाटर, बीन, मक्का, कपास, कॉफ़ी और केला।


निवारक उपाय

  • मक्का, बीन या सोयाबीन की फसलों के साथ चक्रीकरण करें।
  • आलू या पत्ता गोभी के बाद काली मिर्च की फसल न उगायें।
  • मिट्टी में होने वाले संक्रमण से बचने के लिए गहरी जुताई करें।
  • खेती, निराई तथा फसल कटाई करते समय सावधानी बरतें।
  • गीली स्थितियों के दौरान कोई काम न करें।
  • अच्छा जल निकास प्रदान करें।
  • ज़्यादा नाइट्रोजन खाद और सिंचाई का उपयोग न करें।
  • खेत के लिए अनुकूल साफ़ वातावरण उपलब्ध कराएँ (पानी, कपड़े, उपकरण)।
  • कीटाणुशोधन उत्पादों (हाथ, उपकरण) का उपयोग करें।
  • प्रभावित पौधों और फसल के अवशेषों को हटा दें और उन्हें जलाकर नष्ट करें।

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