जवार

ज्वार का अर्गोट

Claviceps africana

फफूंद

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संक्षेप में

  • अंडाशय नर्म, सफ़ेद गोलाकार कवक से ढके होते हैं।
  • पौधों के सभी हिस्सों पर नारंगी-कत्थई या सफ़ेद बीजाणु-युक्त रस (हनीड्यु) दिखाई देता है।
  • यह रस सफ़ेद पपड़ी बनाता है और फफुंद को बढ़ने के लिए अधोस्तर प्रदान करता है।

में भी पाया जा सकता है

1 फसलें

जवार

लक्षण

किसी पुष्पगुच्छ में से कुछ या सभी छोटे पुष्प एक नर्म, सफ़ेद, लगभग गोलाकार कवकीय बनावट में बदल जाते हैं जो छिलकों के मध्य विकसित होते हैं। पतले से लसदार, नारंगी-कत्थई या पारदर्शी सफ़ेद रंग के बीजाणु-युक्त रस (हनीड्यु) की चिपचिपी, सफ़ेद बूँदें निकल सकती हैं। उच्च सापेक्ष आर्द्रता की अवस्था में, रस निम्न लसदार तथा सफ़ेद सतह का होता है। पुष्पगुच्छ, बीज, पत्तियाँ, छिलके तथा मिट्टी भी टपकते हुए रस से भींग जाते हैं और सफ़ेद दिखाई देते हैं। जहाँ भी यह रस सूख जाता है एक सफ़ेद, चूर्ण जैसी पपड़ी बन जाती है। इस रस में अनेक प्रकार के अवसरवादी कवकों का निवास होता है।

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जैविक नियंत्रण

विशिष्ट कवकीय विलगक वाले व्यावसायिक उत्पाद, जिनमे ट्राईकोडर्मा प्रजाति भी शामिल हैं, पौधा-घर परीक्षणों में, विशेषकर कवक के संरोपण से पूर्व, रोग को कम या बाधित करते हैं।

रासायनिक नियंत्रण

हमेशा समवेत उपायों का प्रयोग करना चाहिए जिसमे रोकथाम के उपायों के साथ जैविक उपचार, यदि उपलब्ध हो, का उपयोग किया जाए। संक्रमित रस से प्रभावित बीजों का उपचार केप्टान द्वारा किया जाना चाहिए। वर्षा की अनुपस्थिति में, 5-7 दिनों के अंतराल पर प्रोपिकोनाज़ोल या टेबूकोनाज़ोल (ट्राईज़ोल कवकरोधी) का भूमि पर उपयोग बीजों से होने वाले संक्रमण में अच्छे नतीजे देता है। इन कवकरोधकों के साथ एज़ोक्सीस्ट्रॉबिन का भी धब्बों पर सीधे प्रयोग करने से संतोषप्रद नतीजे मिलते हैं।

यह किससे हुआ

लक्षणों का कारण कवक क्लेविसेप एफ्रिकाना है। ज्वार के संक्रमित फूलों से प्राथमिक बीजाणुओं के उच्च केन्द्रण वाला रस निकलता है। इसके साथ ही, हवा में ले जाए सकने वाले बीजाणु उत्पन्न होते हैं जो मध्यम से अधिक दूरी तक प्रसारित होते हैं। प्राथमिक संक्रमण परिपक्व बीजों में वहन होने वाले बीजाणुओं या फसल कटते समय भूमि पर गिरने वाले संक्रमित पुष्पगुच्छों तथा/अथवा बीजों पर चिपके रह गए रस के द्वारा होता है। सूखा हुआ रस 9-12 महीनों तक संक्रामक रहता है। अंकुरण 14-32 डिग्री से. की सीमा में होता है और आदर्श तापमान 20 डिग्री से. है।


निवारक उपाय

  • स्वस्थ पौधों या प्रमाणित स्त्रोतों से प्राप्त बीजों का प्रयोग करें।
  • कवक के अंकुरण के समय से बचने के लिए यथासंभव जल्द बुआई करें।
  • कवक के प्रति कम संवेदनशील किस्मों को बोएं, जैसे कि, पुष्पीकरण से पूर्व तापमान के लिए कम सहनशीलता, कसे छिलके तथा फूलों के खिलने के कम समय वाली प्रजातियां।
  • खेतों की नियमित निगरानी करें तथा संक्रमित पौधों को कीटाणुमुक्त औज़ारों की सहायता से तुरंत हटा दें।
  • फसल के अवशेषों की गहरी जुताई तथा 3-वर्षीय फसल चक्रीकरण से संक्रमण को कम किया जा सकता है।

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