टमाटर

टमाटर में दरारों का बढ़ना।

Fruit Deformation

अन्य

संक्षेप में

  • त्वचा की लचक में अत्यधिक तनाव के कारण फलों में दरारें बढ़ती हैं।
  • दरारें और विभाजन तनों के चारों ओर भी हो सकता है।

में भी पाया जा सकता है

1 फसलें

टमाटर

लक्षण

लक्षण के तौर पर फलो की बाहरी त्वचा पर खंडन और दरारें देखी जा सकती हैं। खंडन और दरारें गहराई और माप में भिन्न हो सकती है और अकसर फलों के ऊपरी भाग पर चारों ओर होती हैं। केन्द्रीय अथवा अर्धव्यासनुमा क्षति में समानताएं अलग-अलग दैहिक समस्याओं को इंगित करती हैं। कभी-कभी पुष्प पुंज के छोर भी प्रभावित हो जाते हैं। फल जितना अधिक नवोदित होता है उस पर दरारों से उतना अधिक नुकसान पहुंचता है। दरारें और विखंडन तनों के चारों ओर भी हो सकते हैं। यह विकार फल की त्वचा के बाहर की ओर बढ़ने के कारण होता है: त्वचा की लचक अति तनाव वाली होती है और छोटी दरारें दिखायी पड़ती है जो कि धीरे-धीरे फटकर खुल जाती है।

सिफारिशें

जैविक नियंत्रण

इस बीमारी के लिए कोई जैविक उपचार उपलब्ध नहीं है। इनका उपचार केवल रक्षक उपायों द्वारा किया जा सकता है।

रासायनिक नियंत्रण

यदि सम्भव हो तो हमेशा रक्षक उपायों और जैविक उपचारों को एक साथ एकीकृत रूप से अपनायें। इस बीमारी का उपचार केवल रक्षक उपायों द्वारा ही किया जा सकता है फिर भी नाइट्रोजन उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से बचें और मिट्टी में पोटेशियम के स्तर पर ध्यान दें।

यह किससे हुआ

दरारें और अलगाव फलों के आकस्मिक और तीव्र बढ़त के कारण होता है, अकसर जब पौधों द्वारा अत्यधिक पानी ग्रहण किया जाता है। यह आकस्मिक बदलाव जिसमें पौधा बढ़ता है, पर्यावरणीय दशाओं जैसे ठंडे और गीले (मौसम से) उच्च नमी वाले से गर्म और शुष्क में परिवर्तित होने से अधिक सक्रिय होती है या और तेजी से हो सकती है। इस समस्या के समाधान के लिए संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करना भी आवश्यक है। उदाहरण के तौर पर, फूलने और फलने की प्रक्रिया के दौरान नाइट्रोजन का अत्यधिक प्रयोग और पोटेशियम की कम आपूर्ति, फलों की बढ़त को काफी अधिक कर देती है और दरारें दिखायी पड़ने लगती हैं।


निवारक उपाय

  • टमाटरों की दरार प्रतिरोधी किस्मों का चुनाव करें।
  • अत्यधिक सिचाई से बचें और आकस्मिक बाढ़ (जैसी सिचाई) न करके स्थिर पानी की आपूर्ति से सिचाई का लक्ष्य रखें।
  • आने वाले मौसम की चरम घटनाओं से अवगत रहें और उच्च यदि सम्भव हो तो उच्च आर्द्रता वाली दशाओं में सूर्य (के प्रकाश) की पहुंच को कम करें।
  • प्रत्येक पौधे में तनाव की स्थितियों को कम करने के लिए पत्तियों और फलों का अच्छी तरह से संतुलन बनाये रखें।
  • नाइट्रोजन के अति उर्वरण और पोटेशियम के कम उर्वरण से भी बचें।

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