शिमला मिर्च एवं मिर्च

धूप से झुलसना (एबॉयोटिक सनबर्न)

Abiotic Sunburn

अन्य

संक्षेप में

  • पत्तियों का मुरझाना और पीलापन - किनारों से शुरू होता हैं।
  • और धीरे-धीरे मध्यशिरा की ओर बढ़ते हैं।
  • पतझड़ से छाल और फल दोनों ही प्रभावित होते हैं।

में भी पाया जा सकता है

59 फसलें
बादाम
सेब
खुबानी
केला
और अधिक

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लक्षण

धूप से झुलसना सीधी धूप और अत्याधिक तापमान से पौधों, झाड़ियों या पेड़ों को होने वाली क्षति को कहते हैं। ये कारक पौधे के ऊतकों में नमी में परिवर्तन कर देते हैं जिससे शुरुआत में तरुण, मुलायम पत्तियां मुरझा जाती हैं। ये पत्तियां धीरे-धीरे हल्की हरी पड़ जाती है और 2-3 दिन के बाद अंततः उनके सिरों और किनारों पर धब्बे बनना शुरू हो जाते हैं। झुलसे धब्बे बाद में पत्ती के मध्य की ओर बढ़ने लगते हैं। सूखे की स्थिति या कीटों के हमले कारण पत्तियां गिरने से भी फलों या छाल पर झुलसने के निशान (सनस्कैल्ड) बन सकते हैं क्योंकि अब ये पत्तियों की छांव में नहीं होते हैं। छाल में ये दरारों और कैंकर का रूप ले लेते हैं जो बाद में तने पर मृत क्षेत्र बन जाते हैं।

सिफारिशें

जैविक नियंत्रण

धूप रोकने के लिए व्हाइट क्ले या टैल्क फार्मूलेशन का पत्तियों और तनों पर छिड़काव किया जा सकता है। इससे तापमान 5-10° सेल्सियस कम हो सकता है। कैल्सियम कार्बोनेट या क्रिस्टैलाइन लाइमस्टोन पर आधारित उत्पादों को इस्तेमाल करने की भी सलाह दी जाती है। कार्नोबा वैक्स उत्पाद पौधों के लिए कुदरती सनस्क्रीन का कार्य करते हैं।

रासायनिक नियंत्रण

हमेशा एक समेकित दृष्टिकोण से रोकथाम उपायों के साथ उपलब्ध जैविक उपचारों का इस्तेमाल करें। उर्वरक पूरक के रूप में एब्सिसिक अम्ल का इस्तेमाल करने से फलों जैसे कि सेब पर धूप से झुलसने का आघात कम करने में सहायता मिलती है और इसलिए यह अन्य फसलों में भी काम कर सकता है। पत्तियों से पानी की हानि कम करने वाले वाष्पोत्सर्जन रोधी उत्पादों, जैसे कि पॉली-1-पी मेंथीन पर आधारित उत्पाद, ने भी कुछ अध्ययनों में अच्छे नतीजे दर्शाए हैं।

यह किससे हुआ

धूप से झुलसने का आघात उच्च सौर विकिरण, उच्च वायु तापमान, और कम सापेक्षिक आर्द्रता वाले क्षेत्रों में उगने वाले पौधों में आम तौर पर पाया जाता है। ऊंचाई भी भूमिका निभाती है क्योंकि अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर पराबैंगनी (यूवी) विकिरण अधिक होता है। लक्षण पत्तियों, फलों और छाल पर दिखते हैं। धूप से झुलसना और इसकी विकटता अन्य कारकों जैसे कि पौधे की किस्म, उसकी वृद्धि अवस्था और मिट्टी में नमी पर निर्भर करते हैं। धूप से झुलसना तब अधिक गंभीर होता है जब फल पकने की अवधि के दौरान वायु तापमान और धूप के घंटों की संख्या अधिक होती है। मौसम में बदलाव भी महत्वपूर्ण है। अतः अाघात तब भी पहुंच सकता है जब ठंडे या सौम्य मौसम के बाद अचानक तेज धूप के साथ मौसम गर्म हो जाता है।


निवारक उपाय

  • धूप से झुलसने के प्रति अधिक सहनशील किस्मों का इस्तेमाल करें।
  • सुनिश्चित करें कि सिंचाई पौधे की पानी की जरूरत के अनुसार हो।
  • गर्म हवाएं या लू चलने से ठीक पहले या दौरान पानी दें ताकि पौधा अभाव और धूप से झुलसने से बच सके।
  • गर्मियों में अधिक काट-छांट और पत्तियां काटने से परहेज करें।
  • कैनोपी के बीच हवा की आवाजाही सुधारें।
  • पौधा स्प्रिंकलर शीतलन प्रणाली (कूलिंग सिस्टम) भी लगाई जा सकती है।
  • आवश्यकता पड़े तो छाया देने वाले जाल या फ्रूट बैगिंग (फलों को थैले से ढंकना) का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
  • मिट्टी की पानी धारण करने की क्षमता बढ़ाने के लिए पंक्तियों के बीच भूमि आच्छादित फसलों (कवर क्रॉप- जैसे अनानास के बाग़ में मक्का या अरहर) का इस्तेमाल करें।

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