Chimera
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पत्तियों का रंगबिरंगापन, पत्तियों एवं कभी-कभी तनों के हिस्सों का सफ़ेद से पीले रंगों तक अनियमित ढंग से रंग के उड़ने के रूप में प्रदर्शित होता है। सामान्य हरे रंग वाले ऊतक साथ में होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप एक विशिष्ट मोज़ेक, धब्बे युक्त या रैखिक स्वरूप दिखाई देता है। कभी-कभी शिराओं से संबंधित रंगबिरंगापन हो जाता है, मतलब, पत्तियों की नसों का रंग उड़ जाता है, जबकि पत्तियों की बाकी ऊतकें गहरे हरे रंग की ही रहती हैं। यदि पौधों के बड़े हिस्से प्रभावित होते हैं, तो पर्णहरित की कमी से वृद्धि बाधित हो सकती है। लेकिन, अधिकांश मामलों में यह कमी किसी खेत के छोटे से ही हिस्से को प्रभावित करती है और उपज को प्रभावित नहीं करती है।
क्योंकि इस विकार का कोई भी प्रत्यक्ष पर्यावरणीय कारण नहीं है, इसलिए इसके इलाज हेतु कोई जैविक उपचार उपलब्ध नहीं है।
उपलब्ध होने पर हमेशा निवारक उपायों तथा जैविक उपचारों के एक एकीकृत दृष्टिकोण पर विचार करें। पत्तियों का रंगबिरंगापन एक अनुवांशिक या शारीरिक विकार है और इसलिए इसके इलाज के लिए कोई रासायनिक उत्पाद उपलब्ध नहीं है।
पत्तियों का रंगबिरंगापन एक आनुवांशिक या शारीरिक विषमता है जो पर्यावरणीय स्थितियों से स्वतंत्र होता है, अर्थात, इसमें कोई भी रोगजनक शामिल नहीं होता है। पत्तियों के रंगबिरंगेपन का मुख्य कारण पत्तियों के ऊतकों के कुछ हिस्सों में रंजक पर्णहरित का अभाव है। यह प्रकृति में छोटे पैमाने पर होता है तथा पौधों या पैदावार के लिए कोई भी खतरा पैदा नहीं करता है। हालांकि, कुछ सजावटी एवं उद्यान के पौधे प्राकृतिक रूप से रंग-बिरंगे होते हैं, और यह उनकी सुंदरता का हिस्सा है।