धान

धान का टिड्डा

Oxya intricata & Locusta migratoria manilensis

कीट

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संक्षेप में

  • धान के वयस्क टिड्डे आकार में छोटी उँगली के बराबर होते हैं जो चमकीले हरे पीले रंग के होते हैं और जिनके ऊपर तीन काली धारियाँ होतीं हैं।
  • अंडे सितंबर और नवम्बर के मध्य मिट्टी में छोटी उँगली की गहराई पर दिए जाते हैं।
  • अंडे मानसून के समय फूटते हैं और लार्वा पत्तियों का भक्षण करते हैं।

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16 फसलें

धान

लक्षण

ये टिड्डे पत्तियों का भक्षण करते हैं जिससे उनके किनारे क्षतिग्रस्त हो जाते हैं या पत्तियों का बड़ा भाग कट कर अलग हो जाता है। ये टहनियों को भी कुतरते हैं और प्रायः पुष्पगुच्छों को बेहद नुकसान पहुंचाते हैं। धान के बीजकोषों में अंडों की मौजूदगी, पीले और भूरे निम्फ़ और वयस्कों द्वारा धान की पत्तियां खाया जाना इस कीट के अन्य लक्षण हैं।

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जैविक नियंत्रण

कुदरती तौर पर पाए जाने वाले जैविक नियंत्रक एजेंट जैसे कि ततैया, परजीवी मक्खियों और कृमियों, चींटियों, चिड़ियों, मेंढकों, जाल बुनने वाली मकड़ियों को बढ़ावा देना चाहिए। लार्वा की आबादी घटाने के लिए फफूंद रोगजनकों और कीटों में रोग पैदा करने वाली फफूंद (मेटाराइज़ियम एक्रिडम) का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। नमकीन पानी और धान के भूसे से बने घरेलू जहरीले चारे का इस्तेमाल करें।

रासायनिक नियंत्रण

हमेशा एक समेकित दृष्टिकोण से रोकथाम उपायों के साथ उपलब्ध जैविक उपचारों का इस्तेमाल करें। 10 प्रतिशत से ज्यादा क्षति वाले खेतों में टिड्डे पर काबू पाने के लिए पत्ती कीटनाशक छिड़काव का इस्तेमाल करें। दानेदार कीटनाशक प्रभावी नहीं होते हैं। वयस्कों को फंसाने के लिए जहरीले चारे का इस्तेमाल किया जा सकता है। कीट के विरुद्ध छिड़काव किए जा सकने वाले कीटनाशकों में क्लोरोपाइरिफॉस, बुप्रोफेज़िन या इटोफेनप्रॉक्स शामिल हैं। रोपण से पहले धान के खेत की मेड़ों पर मैलाथियान भी छिड़क सकते हैं। अन्य एफएओ संस्तुत रसायनों में बेंडियोकार्ब80%डब्ल्यू पी@125 ग्राम/हेक्टेयर, क्लोरोपाइरिफॉस50% ईसी@20ईसी@480मिली./हेक्टेयर, डेल्टामेथ्रिन 2 8% ईसी@450मिल./हेक्टेयर शामिल हैं।

यह किससे हुआ

पत्तियों और पुष्पगुच्छों के विशिष्ट लक्षण निम्फ और वयस्कों के कारण होते हैं। जलीय वातावरण इनके विकास के लिए उपयुक्त होता है, (उदाहरण, धान के खेत)। ये टिड्डे लंबाई में 5मिमी.से ले कर 11मिमी.के आकार के पतले या छोटे और गठीले होते हैं। ये आसानी से आसपास के वातावरण में मिल जाते हैं क्योंकि ये या तो हरे या भूसे के रंग के होते हैं। मादाएं धान के पत्तों पर पीले अंडे देतीं हैं। वयस्क होने पर ये पंख विकसित कर लेते हैं और दल बनाकर प्रवास कर जाते हैं।


निवारक उपाय

  • रोपण करते समय अंडे के खोल और निम्फ़ नष्ट करने के लिए धान के खेत की मेड़ें साफ़ करें।
  • क्षति के विशिष्ट लक्षणों और टिड्डे के निम्फ़ और वयस्कों की मौजूदगी के लिए खेत की नियमित निगरानी करें।
  • वयस्कों को रात में उनके सुस्त होने पर सीधे पत्तियों पर से पकड़ लें।
  • कीट को डुबोने के लिए क्यारी को पानी से लबालब भर दें।
  • छोटी क्यारियों में जाल चलाकर कीट को पकड़ लें।
  • पर्याय मेजबान के रूप में उपलब्ध होने वाले खरपतवारों को नष्ट कर दें।
  • बार-बार कीटनाशक छिड़काव से बचें क्योंकि इससे लाभदायक कीटों की आबादी प्रभावित हो सकती है।
  • शीत ऋतु में गहरी जुताई की सलाह दी जाती है ताकि अंडे शिकारियों का शिकार बन सकें। टिड्डों के आने के रास्ते मे सामने की ओर 45 सेमी. गहरी और 30 सेमी. चौड़ी खाइयों को भी खोदा जा सकता है और खाइयों पर धातु की परत के अवरोध लगाए जाने चाहिए।

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