Oxya intricata & Locusta migratoria manilensis
कीट
ये टिड्डे पत्तियों का भक्षण करते हैं जिससे उनके किनारे क्षतिग्रस्त हो जाते हैं या पत्तियों का बड़ा भाग कट कर अलग हो जाता है। ये टहनियों को भी कुतरते हैं और प्रायः पुष्पगुच्छों को बेहद नुकसान पहुंचाते हैं। धान के बीजकोषों में अंडों की मौजूदगी, पीले और भूरे निम्फ़ और वयस्कों द्वारा धान की पत्तियां खाया जाना इस कीट के अन्य लक्षण हैं।
कुदरती तौर पर पाए जाने वाले जैविक नियंत्रक एजेंट जैसे कि ततैया, परजीवी मक्खियों और कृमियों, चींटियों, चिड़ियों, मेंढकों, जाल बुनने वाली मकड़ियों को बढ़ावा देना चाहिए। लार्वा की आबादी घटाने के लिए फफूंद रोगजनकों और कीटों में रोग पैदा करने वाली फफूंद (मेटाराइज़ियम एक्रिडम) का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। नमकीन पानी और धान के भूसे से बने घरेलू जहरीले चारे का इस्तेमाल करें।
हमेशा एक समेकित दृष्टिकोण से रोकथाम उपायों के साथ उपलब्ध जैविक उपचारों का इस्तेमाल करें। 10 प्रतिशत से ज्यादा क्षति वाले खेतों में टिड्डे पर काबू पाने के लिए पत्ती कीटनाशक छिड़काव का इस्तेमाल करें। दानेदार कीटनाशक प्रभावी नहीं होते हैं। वयस्कों को फंसाने के लिए जहरीले चारे का इस्तेमाल किया जा सकता है। कीट के विरुद्ध छिड़काव किए जा सकने वाले कीटनाशकों में क्लोरोपाइरिफॉस, बुप्रोफेज़िन या इटोफेनप्रॉक्स शामिल हैं। रोपण से पहले धान के खेत की मेड़ों पर मैलाथियान भी छिड़क सकते हैं। अन्य एफएओ संस्तुत रसायनों में बेंडियोकार्ब80%डब्ल्यू पी@125 ग्राम/हेक्टेयर, क्लोरोपाइरिफॉस50% ईसी@20ईसी@480मिली./हेक्टेयर, डेल्टामेथ्रिन 2 8% ईसी@450मिल./हेक्टेयर शामिल हैं।
पत्तियों और पुष्पगुच्छों के विशिष्ट लक्षण निम्फ और वयस्कों के कारण होते हैं। जलीय वातावरण इनके विकास के लिए उपयुक्त होता है, (उदाहरण, धान के खेत)। ये टिड्डे लंबाई में 5मिमी.से ले कर 11मिमी.के आकार के पतले या छोटे और गठीले होते हैं। ये आसानी से आसपास के वातावरण में मिल जाते हैं क्योंकि ये या तो हरे या भूसे के रंग के होते हैं। मादाएं धान के पत्तों पर पीले अंडे देतीं हैं। वयस्क होने पर ये पंख विकसित कर लेते हैं और दल बनाकर प्रवास कर जाते हैं।