Hydrellia philippina
कीट
एच. फिलिपिना का लार्वा बंद पत्तियों के अंदरूनी किनारों को खाता है। बढ़ने की प्रक्रिया में जब ये धीरे - धीरे खुलती हैं तो इन पर खाए जाने के निशान पीले धब्बों या अंदरूनी किनारों पर रेखाओं, सफ़ेद या पारदर्शी चकत्तों और बारीक छेदों के रूप में दिखते हैं। क्षतिग्रस्त पत्तियां विकृत हो जाती हैं और हवा चलने से टूट भी सकती हैं । लार्वा, सबसे ऊपर वाली पत्ती (फ्लैग लीफ़) को भी क्षति पहुंचा सकता है। पत्ते पर छोटे-छोटे छेद दिखते हैं और किनारे बदरंग हो जाते हैं। यदि ये विकसित हो रही बाली तक पहुंच जाएं तो दाने खाली रह सकते हैं। आम तौर पर धान का पौधा गोभ गिडार से हुई क्षति की भरपाई कर लेता है और फ़सल के अधिकतम पौधे निकलने के चरण में लक्षण गायब हो जाते हैं।
ओपियस, टेट्रास्टिकस और ट्राइकोग्रामा वंश की छोटी ततैया अंड़ों और कीड़ों में परजीवी छोड़ती हैं। अंड़ों को खाने वाली मक्खियों की प्रजातियों में डॉलिचोपस, मेडेटेरा और सिंटोर्मन की प्रजातियां शामिल हैं। प्रजाति ऑक्थेरा ब्रेविटिबियालिस की एफाइड्रिड मक्खियां और ऑक्सीओपस जावानस, लाइकोसा सीडोएन्युलेटा और न्यूस्कोना थेइसी प्रजाति की मकड़ियां वयस्कों को खाती हैं।
हमेशा एक समन्वित दृष्टिकोण से रोकथाम उपायों के साथ उपलब्ध जैविक उपचारों का इस्तेमाल करें। आम तौर पर एच. फिलिपिना के लक्षण अधिकतम पौधे फूटने की अवस्था में ग़ायब हो जाते हैं और कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। भयंकर संक्रमण होने पर कोल तार या नीम के तेल के साथ इस्तेमाल सिर्फ एक बार जड़ क्षेत्र में करना भी असरदार तरीका है। यह विशेष रूप से रबी के मौसम या देर से पौधरोपण की स्थिति में बहुत प्रभावी है।
लक्षणों का कारण अर्द्ध-जलीय गोभ गिडार हाइड्रेलिया फिलिपिना के लार्वा हैं। यह पत्ती में सुरंग बनाने वाले कीटों के परिवार से है, किन्तु अंतर इतना है कि यह बंद पत्ती को उसके खुलने से पहले खाता है और पत्ते पर क्षति के धब्बों की विशेष आकृति बनाता है। यह आम तौर पर सिंचित खेतों, तालाबों, पोखरों, झीलों के साथ-साथ खड़े पानी और हरियाली वाले स्थानों पर पाया जाता है। वर्ष भर धान की खेती और पौधरोपण भी इसके विकास को बढ़ावा देते हैं। हालांकि यह सीधी बुवाई वाले खेतों, क्यारियों या सूखे खेतों में नहीं फलता-फूलता है। पूर्ण आकार के गोभ गिडार के प्यूपा, खाए गए डंठल के बाहर बनते हैं । धान प्राथमिक पालक है लेकिन यह घास की प्रजातियों जैसे ब्रैक्रियारिया प्रजाति, साइनोडॉन प्रजाति, आइकिनोक्लोआ प्रजाति, लीरसिया प्रजाति, पैनिकम प्रजाति और जंगली धान पर भी प्रजनन कर सकता है।