Scirpophaga excerptalis
कीट
पत्ती खुलने पर उसकी सतह पर समानांतर छिद्रों की एक श्रृंखला दिखाई देती है, जो इस भेदक कीट की गतिविधि का स्पष्ट लक्षण है। पत्ती की मध्य शिराओं में भूरे रंग की सूखी सुरंगें दिखती हैं जो हमले के प्रारंभिक चरण का सबसे विशिष्ट लक्षण है। अंडों के गुच्छे विकास बिंदुओं के नज़दीक पत्ती की ऊपरी सतह पर मौजूद रहते हैं। विकास बिंदुओं पर हमला होता है, जिसके कारण डंठल सूख जाती है। गन्नों के नए हिस्से अंदर से सूख जाते हैं और गन्ने लाल-भूरे रंग के हो जाते हैं। शीर्ष की नई डंठल मुरझा जाती है और इसका विकास रुक जाता है। गन्ने की हर तरफ़ से नई डंठल निकलने की वजह से पौधा गुच्छेदार दिखने लगता है। भूमि के पास वाले तने के हिस्से में छोटे छेद दिखते हैं। एक गुल्ली के अंदर सिर्फ़ एक लार्वा भोजन करता नज़र आता है।
ट्राइकोग्रामा चिलोनिस जैसे अंडा परजीवी कीटों को 10,000 प्रति हेक्टेयर की दर से 2-3 बार 10 दिन के अंतराल पर छोड़ा जा सकता है, या निरंतर उपस्थिति के लिए इचन्युमोनिड परजीवी गैम्ब्रॉयड (इसोटिमा) जैवेन्सिस (100 जोड़ियाँ/ हेक्टेयर) को खेत में छोड़ा जा सकता है।
अगर उपलब्ध हों, तो हमेशा जैविक उपचार के साथ निवारक उपायों के मिलेजुले दृष्टिकोण पर विचार करें। कार्बोफ़ुरैन 5% जी (33.3 किलो/ हेक्टेयर) जैसे कीटनाशकों को डालें या क्लोरेन्ट्रेनिलिप्रोल 18.5% एस.सी. (375 मिली/ हेक्टेयर) का छिड़काव करें। जड़ क्षेत्र में छोटी-सी क्यारी बनाकर कार्बोफ़ुरैन के दाने को वहाँ डाला जा सकता है, और फिर हल्की सिंचाई की जा सकती है। लेकिन, प्रभावित डंठल को हाथ से काटना अधिक उपयोगी रहता है।
सुगरकेन व्हाइट टॉप बोरर (गन्ने का शीर्ष छिद्रक), स्किरपोफ़ेगा एक्सर्प्टैलिस, के कारण नुकसान होता है। वयस्क पतंगे के रुपहले रंग के पंख होते है, जिसकी नोक परनुमा होती है। मादा पीले-भूरे बालों या सफ़ेद रोओं से ढके हुए अंडे देती है। लार्वा मुड़ी हुई पत्तियों में सुरंग बनाते हैं, जिसके कारण नुकसान होता है। लार्वा लगभग 35 मिमी लंबे, मलाईदार सफ़ेद या पीले रंग, भूरे सिर, बिना धारी, और छोटी टांगों वाले होते हैं। ये मध्य शिरा को खाते हुए पौधे के नए हिस्सों के अंदर पहुँच जाते हैं। तीसरी पीढ़ी गन्नों को सबसे ज़्यादा नुकसान पहुँचाती है। नए पौधे इस कीट के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, विशेषतः नम वातावरण में।