Caryedon serratus
कीट
संक्रमण का प्राथमिक साक्ष्य है छिद्रों में से लार्वा का निकलना तथा फलियों के बाहर कोकून की उपस्थिति। जब संक्रमित फलियों को दबा कर खोला जाता है, तो आमतौर पर बीजों पर कोई क्षति नज़र नहीं आती है।
मूंगफली की फलियों को नीम के बीज के चूर्ण या काली मिर्च के चूर्ण से उपचारित करें। आप फलियों का उपचार नीम तेल, करंज तेल या नीलगिरी के तेल से भी कर सकते हैं। फलियों को वायुरोधी पॉलीथीन के थैलों या कलई किए हुए धातु/पीवीसी के बीज बक्सों में भंडारित करें।
हमेशा निरोधात्मक उपायों के साथ जैविक उपचार, यदि उपलब्ध हों, के समन्वित प्रयोग पर विचार करें। मिथाइल ब्रोमाइड 32 ग्रा/घन मीटर के हिसाब से 4 घंटों तक धुआं दें। इसके बाद 3 ग्रा/किग्रा की दर से क्लोरपाइरिफ़ॉस का बीज उपचार करें, मैलथियोन 50 ईसी का 5 मिली./ली. की दर से भंडार की दीवारों और थैलों पर छिड़काव करें। थैलों पर डेल्टामेथ्रिन का 0.5 मिली./ली. की दर से छिड़काव करें।
क्षति का कारण भूरे वयस्क घुन (सी. सैराटस) का लार्वा होता है। परिपक्व वयस्क घुन के द्वारा फलियों के बाहर (छोटे और पारदर्शी)अंडे दिए जाते हैं। अंडे फूटने पर, छोटे लार्वा अंडे से निकल कर सीधे फलियों की दीवारों में छेद कर देते हैं। परिपक्व होने तक ये बालियों के बीजपत्रों को खाते हैं। उसके बाद वयस्क घुन फली में बड़ा सा छिद्र कर देता है। वयस्क घुन आकार में अंडाकार, भूरे रंग का और लंबाई में लगभग 7 मिमी. तक का होता है। आदर्श परिस्थितियों में, इसे अपना जीवन चक्र पूरा करने में लगभग 40-42 दिन का समय लगता है। घुन का विकास 30-33 डिग्री से. पर तेज़ी से होता है।