Plutella xylostella
कीट
हीरक पृष्ठ पतंगे को आम तौर पर मामूली कीट समझा जाता है। हालांकि अधिक आबादी होने पर ये गोभी वर्गीय फ़सलों के लिए समस्या बन सकते हैं। क्षति का कारण पत्तियों में सुरंगें बनाने या पत्ती की निचली सतह खुरचने वाले लार्वा हैं। कभी-कभी ऊपरी अधिचर्म अनछुई रहने पर भी टेढ़े-मेढ़े धब्बे दिखते हैं जिससे खिड़कियां सी बन जाती हैं। बड़े लार्वा बहुत पेटू होते हैं और गंभीर प्रकोप होने पर पूरी पत्ती चट कर सकते हैं जिससे केवल पत्ती का ढांचा (पत्तियों का कंकालिकरण) ही बचता है। फूलों पर लार्वा की मौजूदगी से ब्रोकली या फूल गोभी में फूल के विकास में रुकावट आ सकती है।
हीरक पृष्ठ पतंगा के दुश्मनों में कीट-परजीवी ततैया डायडेग्मा इंसूलेयर, ऊमाइज़स सोकोलोवस्की, माइक्रोप्लाइटिस प्लूटेली, डायड्रोमस सबटिलिकॉर्निस और कोटेसिया प्लूेटेली शामिल हैं। कीट-परजीवी ततैया के अलावा, कीटों में रोग फैलाने वाले फफूंद या न्यूक्लियर पॉलीहेड्रोसिस विषाणु युक्त घोलों का इस्तेमाल आबादी पर नियंत्रण के लिए किया जा सकता है। बैसिलस थूरिंजिएंसिस युक्त घोल भी उपयोगी हैं। हालांकि प्रतिरोध विकसित न होने देने के लिए उत्पादों को बदल-बदल कर इस्तेमाल करना चाहिए।
हमेशा एक समन्वित दृष्टिकोण से रोकथाम उपायों के साथ उपलब्ध जैविक उपचारों का इस्तेमाल करें। कीटनाशकों के प्रति प्रतिरोध व्यापक है और इसमें अधिकांश प्रकार के उत्पाद शामिल हैं (कुछ जैविक उत्पादों सहित)। इसलिए, सक्रिय तत्व को बदल-बदल कर इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। 80 के दशक में अत्याधिक इस्तेमाल के कारण पाइरेथ्रॉयड युक्त उत्पाद बेअसर साबित होते आये हैं।
क्षति का कारण हीरक पृष्ठ पतंगा प्लूटेला जाइलोस्टेला का लार्वा है। मुख्य मेजबान गोभी परिवार के ब्रोकली, पत्ता गोभी, फूल गोभी, मूली, शलजम और कई खरपतवार हैं। वयस्क छोटे, पतले, करीब 6 मिमी. लंबे और बड़े एंटीना वाले होते हैं। पीठ पर हल्की भूरी पट्टी के साथ इनका शरीर गहरा भूरा होता है। ये अच्छी तरह उड़ नहीं पाते हैं फिर भी हवा से लंबी दूरी तय कर सकते हैं। प्रत्येक मादा पत्ती के नीचे की तरफ औसतन 150 अंडे देती है, आम तौर पर आठ तक के छोटे समूहों में शिराओं के आसपास। तरुण लार्वा में पत्तियों में सुरंगे बनाते हुए खाने की आदत होती हैं जबकि बड़े लार्वा पत्ती की निचली सतह खाते हैं जिससे टेढ़े-मेढ़ चकत्ते बने जाते हैं। बारिश को बड़ी संख्या में तरुण लार्वा की मौत का कारण माना गया है।