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ओरिएंटल फल मक्खी

Bactrocera dorsalis

कीट

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संक्षेप में

  • पके केलों में छिद्रों के चिन्हों के समीप परिगलित धब्बों के रूप में के अंड-निक्षेपण चिन्ह दिखने लगते हैं।
  • लार्वा फलों के गूदे पर पलता है और इसे धीरे-धीरे सड़ा देता है।
  • अवसरवादी जीवाणु भी सड़ते हुए ऊतकों में घर बना लेते हैं।

में भी पाया जा सकता है

16 फसलें
सेब
खुबानी
केला
करेला
और अधिक

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लक्षण

ओरियंटल फल मक्खी सिर्फ़ पके फलों पर ही आक्रमण करती है। फल तोड़ने के लिए तय समय के एक सप्ताह बाद भी पौधों पर लगे कच्चे फलों पर हमले की आशंका नहीं होती है। तोड़ लिए गए फल भी किस्म पर निर्भर करते हुए 1 से 4 दिनों तक बचे रह सकते हैं। पके हुए फलों में क्षति आम तौर पर ऊतकों के टूटने तथा कीड़ों के हमले के कारण अंदर सड़न के रूप में होती है। अंड-निक्षेपण के बाद छिद्रों के चिन्ह (डंक) के चारों ओर कुछ ऊतकक्षय हो सकता है। फलों पर मशीनों के कारण (या किसी अन्य कारणवश) हुई क्षति से छिलका कमज़ोर पड़ जाता है तथा फलों के गूदे पर अंड-निक्षेपण हो सकता है।

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जैविक नियंत्रण

जापान में जालों के साथ बैक्ट्रोसेरा डॉर्सैलिस के वंध्य नरों का इस्तेमाल करके बागानों में मक्खियों से छुटकारा पाया गया है। जैविक रूप से स्वीकृत उचित कीटनाशकों (उदाहरण के लिए, स्पिनोसैड) के साथ प्रोटीन वाले चारे को मिलाकर चारे वाला छिड़काव किया जाना चाहिए।

रासायनिक नियंत्रण

हमेशा एक समेकित दृष्टिकोण से रोकथाम उपायों के साथ-साथ उपलब्ध जैविक उपचारों को अपनाएं। यदि फे़रेमॉन जाल में पकड़े गए कीटों की संख्या निरंतर 3 दिनों तक 8 प्रति दिन रहती है या 10% फूलों या 10% हरे बीजकोषों को नुकसान देखा जाता है, तो नीचे बताए गए नियंत्रण उपायों का उपयोग करें: उचित कीटनाशकों (उदाहरण के लिए, मेलाथियोन, स्पाइनोसैड) में प्रोटीन वाला चारा मिलाकर उपयोग करें। सर्वाधिक इस्तेमाल किया जाने वाला प्रोटीन पानी में अपघटित होने वाले होते हैं (हाइड्रोलाइज़्ड), किन्तु इनमें से कुछ पौधों के लिए अत्यधिक विषाक्त होते हैं। प्रकाश से क्रियाशील होने वाली ज़ैंथीन डाई एक प्रभावी विकल्प है। बी. डॉर्सैलिस के नर मिथाइल युजिनॉल (4-एलाइल –1, 2–डाईमैथॉक्सीबेंज़ीन) के प्रति आकर्षित होते हैं, कभी-कभी बहुत बड़ी संख्या में भी।

यह किससे हुआ

क्षति का कारण ओरिएंटल फल मक्खी बैक्ट्रोसेरा डॉर्सैलिस है। कीट का रंग बदलता रहता है किन्तु यह मुख्यतः वक्ष पर काले चिन्हों के साथ पीले और गहरे कत्थई रंग का होता है। गर्मी में अंडे से वयस्क बनने की प्रक्रिया के लिए 16 दिन की आवश्यकता होती है जबकि ठंडे मौसम में ये अवधि काफ़ी बढ़ जाती है। मादाएं अपने जीवन काल में पके फलों में 1200 से 1500 तक अंडे दे सकती हैं जिन्हें यदि नियंत्रित न किया जाए तो ये बहुत क्षति कर सकते हैं। केले के गूदे पर पलने के बाद वयस्क लार्वा फल से बाहर निकलता है और मिट्टी पर गिरता है तथा एक पीले-भूरे से लेकर गहरे भूरे रंग का प्यूपा बनाता है। बाहर निकलने के बाद वयस्कों को यौन रूप से परिपक्व होने के लिए नौ दिन की आवश्यकता होती है। केलों के अतिरिक्त, एवाकाडो, आम और पपीते पर सबसे अधिक आक्रमण होता है। अन्य मेज़बान पौधों में गुठली वाले फल, नींबू वंश के फल, कॉफ़ी, अंजीर,अमरुद, पैशन फ्रूट, नाशपाती, पर्सिमोन, अनन्नास तथा टमाटर हैं।


निवारक उपाय

  • यदि आपके क्षेत्र में उपलब्ध हों तो प्रतिरोधक किस्मों का इस्तेमाल करें।
  • न बेचे जा सकने योग्य तथा संक्रमित फलों को नष्ट कर दें।
  • प्यूपा को नष्ट करने के लिए फलों के नीचे की मिट्टी को उलट-पलट दें।
  • खेतों की निगरानी के लिए मिथाइल युजोनॉल के चारे वाले ट्रैप से नरों को पकड़ें।
  • फल को पकने से पहले अख़बार, कागज़ के थैले या पॉलिथीन में लपेट कर रखें।

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