अंगूर

वाइन फ्ली बीटल

Altica ampelophaga

कीट

संक्षेप में

  • वयस्क फलक पर छेद करके पत्ती खाते हैं और पूरी पत्ती पर अनेक छेद बना देते हैं।
  • सबसे गंभीर नुकसान बसंत में तब होता है जब वयस्क अंगूर की बेल की कलियां खाना शुरू कर देते हैं।
  • हालांकि लार्वा पत्तियों की सतह ही खाते हैं जिससे ऊतक मृत हो जाते हैं।

में भी पाया जा सकता है

1 फसलें

अंगूर

लक्षण

वयस्क और लार्वा पत्तियों पर अलग-अलग लक्षण दर्शाते हैं। वयस्क छेद करके पत्तियों को खाते हैं और उसके फलक पर कई छोटे-छोटे छेद बनाते हैं। वहीं, लार्वा पत्तियों को ऊपर-ऊपर से खाते हैं जिससे दूसरी तरफ की अधिचर्म मृत हो जाती है। सबसे ज़्यादा नुकसान तब होता है जब अनुकूल मौसम में सर्दियां बिता रहे वयस्क बाहर निकलते हैं। अगर वे सुबह-सुबह सक्रिय हो जाते हैं तो पत्तियों के साथ-साथ ताज़ा खिली कलियों तक को खा जाते हैं। भयंकर प्रकोप होने पर पत्तियां पिंजर में बदल जाती हैं और नए बने फूल दल नष्ट हो जाते हैं। ज़्यादा और मजबूत पत्तियां हमले का बेहतर तरीके से मुकाबला करती हैं और नुकसान कम होता है। एक बार कलियों के बड़े हो जाने पर ये बीटल ज़्यादा क्षति नहीं पहुंचा पाते हैं।

सिफारिशें

जैविक नियंत्रण

शिकारी कीड़ा ज़िक्रोना कोएरुलिया (ब्लू बग) वाइन फ्ली बीटल का मुख्य जैविक नियंत्रक है। कीट पर नियंत्रण के लिए अन्य शिकारी और सर्वाहारी परजीवियों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। मिट्टी में मिलाए गए लाभदायक सूत्रकृमि भी लार्वा नष्ट करके वयस्कों की नई पीढ़ी तैयार होने से रोकते हैं। वयस्कों के दिखने की शुरुआत में स्पाइनोसैड या नीम तेल फार्मूलेशन का छिड़काव करने से आबादी पर नियंत्रण किया जा सकता है।

रासायनिक नियंत्रण

हमेशा एक समन्वित दृष्टिकोण से रोकथाम उपायों के साथ उपलब्ध जैविक उपचारों का इस्तेमाल करें। वाइन फ्ली बीटल के वयस्क दिखने पर उनके विरुद्ध क्लोरपाइरिफॉस, लैंब्डा सायएलोथ्रिन फार्मूलेशन वाले सक्रिय पदार्थों का छिड़काव या डस्टिंग की जा सकती है।

यह किससे हुआ

लक्षणों का कारण वाइन फ्ली बीटल एल्टिका एंपेलोफैगा है। ये चमकदार धातु जैसे बीटल बसंत में सक्रिय होते हैं और अंगूर की बेल की नई पत्तियों और कलियों पर हमला करते हैं। मौसम पर निर्भर करते हुए विभिन्न विकास अवस्थाओं की अवधि अलग-अलग होती है। मादाएं समूहों में पत्तियों की निचली तरफ अपने जीवनकाल में सैकड़ों अंडे देती हैं। आम तौर पर अंडा दिए जाने के बाद 1-2 सप्ताह में अंडे से लार्वा बाहर आता है। यह करीब 1 महीने तक पत्तियों को खाते हैं और तीन विकास अवस्थाओं से गुजरते हैं। इसके बाद मिट्टी में 5 सेमी. की गहराई में इनका प्यूपीकरण होता है और 1-3 सप्ताह बाद अगली पीढ़ी के वयस्क बाहर निकल आते हैं। आम तौर पर एक वर्ष में 2 या फिर कभी-कभी तीन पीढ़ियां होती हैं। अंतिम पीढ़ी के वयस्क पत्तियों के कूड़े या अन्य शरण स्थलों में शीत-शयन करते हैं।


निवारक उपाय

  • वयस्क और लार्वा के कारण हुए लक्षणों के लिए वाइनयार्ड की लागातार निगरानी करें।
  • वाइनयार्ड को जंगल या बंजर जमीन के आसपास न लगाएं।
  • फ्ली बीटल के प्यूपा पर काबू पाने के लिए कतारों के बीच जुताई करें।

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