Cnaphalocrocis medinalis
कीट
इसे लीफ़फोल्डर भी कहते हैं। वयस्क कीट लगभग आपके नाखून के जितने बड़े होते हैं और उनके पंखों पर भूरे रंग की सी ज़िग-ज़ैग धारियां होती हैं। अंडे आम तौर पर पत्तियों के शीर्ष पर दिए जाते हैं। इल्लियाँ अपने चारों ओर चावल की पत्ती को लपेट लेती हैं और पत्तियों के किनारों को रेशम के धागे से आपस में जोड़ देती हैं। वे फिर उस मुड़ी हुई पत्ती में किनारों पर सफ़ेद रंग की पारदर्शी देशंतारीय धारियां बनाते हुए भोजन करती हैं। कभी कभी, पत्तियां शीर्ष से डंठल के भाग तक मुड़ी हुई होती हैं। एकल रूप में दिए गए गोल आकार के अंडे और मल पदार्थ की मौजूदगी भी संक्रमण के चिन्ह हैं।
लाइट ट्रैप का उपयोग वयस्कों को आकर्षित तथा एकत्रित करने के लिए किया जाता है। साथ ही प्राकृतिक शत्रुओं, जैसे परजीवी कीट (ट्राईकोग्रामाटिडे), मकड़ियाँ, शिकारी कीट, मेंढक तथा ड्रैगनफ़्लाई या एंटोमोपेथोजेनिक कवक या जीवाणुओं का संरक्षण तथा छोड़ा जाना भी उपयोगी है। खेतों में असमान रूप से नीम की पत्तियों का बिखराव वयस्कों को अंडे देने से रोकता है।
हमेशा समवेत उपायों का प्रयोग करना चाहिए जिसमें रोकथाम के उपायों के साथ जैविक उपचार, यदि उपलब्ध हो, का उपयोग किया जाए। यदि जुताई के समय संक्रमण अधिक (>50 %) हो, तो क्लोरपायरिफ़ोस, क्लोरनट्रेनिलिप्रोल, इंडोक्साकार्ब, अज़ाडिरैक्टिन, गामा या लाम्डा सायहेलोथ्रिन या फ़्लुबेंडियामाइड वाले कीटनाशकों का छिड़काव लार्वा को नष्ट करने में सहायक होते हैं, विशेषकर तब जब लीफ़ फ़ोल्डर विकसित हो रहे पुष्पगुच्छ के समय (बूटिंग चरण) पर गंभीर हो। कीट की वापसी न हो इस लिए रसायनों का उपयोग ध्यान से किया जाना चाहिए।
चावल लीफ़फोल्डर सभी मौसम के चावलों में होता है और यह वर्षा ऋतु में अधिक होता है। चावल के खेतों तथा आसपास के क्षेत्र में उच्च आर्द्रता, खेत के छायादार भाग और घासनुमा खर-पतवार की मौजूदगी कीट के लिए अनुकूल हैं। सिंचाई प्रणालियों के साथ विस्तृत चावल के खेत, एकाधिक चावल की फसलें तथा कीटनाशकों से प्रभावित हो कर पुनः उभरना कीटों की बहुतायत के महत्वपूर्ण कारक हैं। उर्वरकों के अधिक मात्रा में प्रयोग से कीटों की बढ़वार को प्रोत्साहन मिलता है। ऊष्णकटिबंधीय चावल क्षेत्रों में ये वर्ष भर सक्रिय रहते हैं जबकि समशीतोष्ण देशों में ये मई से अक्टूबर तक सक्रिय रहते हैं। सर्वानुकूल तापमान तथा आर्द्रता क्रमशः 25-29 डिग्री तथा 80 % हैं। चावल के नए तथा हरे पौधे ज़्यादा बुरी तरह संक्रमित होते हैं।