धान

चावल का कीट

Leptocorisa spp.

कीट

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संक्षेप में

  • शीर्ष पर काये जाने से होने वाली क्षति।
  • बिना भरे हुए या खाली दाने।
  • बदरंग होना।
  • दानों में विकृति।
  • पुष्पगुच्छों के जीवाणु पाले से भ्रम होता है।

में भी पाया जा सकता है

1 फसलें

धान

लक्षण

चावल के दाने के विकास की अवस्था पर निर्भर करते हुए इस प्रकार खाए जाने के परिणामस्वरूप दाने खाली या छोटे, सिकुड़े और खराब आकार के धब्बेदार और बदरंग हो जाते हैं। कभी-कभी इनमें से तेज़ बदबू भी आती है।पुष्पगुच्छ सीधे खड़े हुए दिखाई देते हैं।

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जैविक नियंत्रण

चावल के कीटों को दूर रखने के लिए सुगन्धित साबुन के घोल (जैसे कि लेमनग्रास) का छिड़काव करना चाहिए। चावल के कीटों को आकर्षित तथा नष्ट करने के लिए खेतों के समीप “प्रहोक” (कम्बोडिया की स्थानीय “चीज़”) का प्रयोग करना चाहिए। चावल के कीट को दूर रखने के लिए भोर तथा देर शाम के समय मच्छरों के जाल का प्रयोग करना चाहिए। इसे तोड़कर पानी में डाल दें और अन्य चावल के कीटों को दूर रखने के लिए छिड़काव करें। जैविक नियंत्रक कारकों को बढ़ावा दें : कुछ ततैये, टिड्डे या मकड़ियाँ चावल के कीट या उनके अण्डों पर आक्रमण करते हैं।

रासायनिक नियंत्रण

हमेशा समवेत उपायों का प्रयोग करना चाहिए, जिसमें रोकथाम के उपायों के साथ जैविक उपचार, यदि उपलब्ध हो, का उपयोग किया जाए। किसी कीटनाशक के प्रयोग के लाभों को स्वास्थ्य तथा परिवेश को होने वाली संभावित हानि को ध्यान में रखते हुए ही प्रयोग करना चाहिए। क्लोरपायरिफॉस 50 इसी 2.5मिली. + डाईक्लोरवॉस 1 मिली./ली. का शाम के समय खेत के किनारों से आरंभ कर बीच तक गोलाकार रूप में छिड़काव करें। इससे कीट मध्य में एकत्रित हो जाते हैं और उन्हें प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सकता है। इसके विकल्प के तौर पर आप एबेमेक्तटिन का भी प्रयोग कर सकते हैं। कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से जैविक नियंत्रण बाधित होता है जिसके कारण कीटों के फिर से उत्थान होता है।

यह किससे हुआ

चावल के कीट या राइस बग दूधिया या दाने भरने की अवस्था के दौरान कभी भी उत्पन्न हो सकते हैं और शाम को एक गंदी बदबू छोड़ते हैं। चावल के कीट सभी परिवेश में पाए जाते हैं। वन प्रदेश, चावल के खेतों के समीप विस्तृत खर-पतवार का क्षेत्र, नहरों के समीप जंगली घास तथा क्रमबद्ध चावल की रोपाई इनके अत्यधिक जनसंख्या घनत्व में सहायक हैं।| ये मानसून की वर्षा के समय अधिक सक्रिय होते हैं। ऊष्ण मौसम, बादलों से ढके आसमान और प्रायः होने वाली वर्षा इनकी जनसंख्या के बढ़ने में सहायक है। ये शुष्क मौसम में कम सक्रिय रहते हैं। इसके लक्षण पुष्पगुच्छों के जीवाणु पाले जैसे लगते हैं।


निवारक उपाय

  • जनसंख्या के चरम से बचने के लिए यदि संभव हो तो देर से पकने वाली प्रजातियों के उपयोग करें।
  • समकालिक रोपाई भी चावल के कीट की समस्या को कम करने में सहायता करती है।
  • फूलों के खिलने के पूर्व की अवस्था में खेतों पर रोज़ निगरानी रखें।
  • अन्य धारक पौधों जैसे कि क्रेब घास, गूसघास और फलियों को हटा दें।
  • खेतों तथा आसपास के इलाकों से खर-पतवार को हटा दें।
  • चावल के कीटों को आकर्षित करने के लिए खेतों के आसपास ललचाने वाली फसलों का प्रयोग करें।
  • संतुलित उर्वरीकरण अपनाएं।
  • नियमित रूप से पानी दें किंतु अत्यधिक नमी से बचें।
  • चावल के कीटों को पकड़ने के लिए सुबह जल्द या देर शाम में कीटों को डुबोने या पौधे के शीर्ष तक पहुंचने के लिए, जिससे कि वे कीटनाशकों के अधिक करीब आ सकें, खेतों को पानी से भर दें।
  • जाल का प्रयोग करें।
  • कम कीटनाशकों का प्रयोग कर लाभप्रद कीटों (वास्प, टिडडेटठा मकड़ी) को संरक्षित करें।।

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