Lepidiota stigma
कीट
लार्वा गन्ने की जड़ों पर पलते हैं तथा पूरे पौधे की स्थिरता और पानी की आपूर्ति को कम करते हैं। पत्तियों के पीले पड़ने और गिरने के साथ प्रारम्भिक क्षति देखने में सूखे के कारण हुई क्षति के समान लगती है। बाद में, पत्तियाँ मरने लगती हैं और परिपक्व डंठल सड़ने लगती हैं। अत्यंत गंभीर मामलों में, पूरा पौधा ही जड़-विहीन हो जाता है और अपने वज़न से ही मिट्टी से बाहर निकल आता है। कुछ मामलों में, लार्वा गन्ने के डंठलों में सुरंग बना सकता है। अत्यंत गंभीर मामलों में जड़ों को खाए जाने से होने वाली हानि के कारण गन्ने उखड़ने लगते हैं। पानी की आपूर्ति में कमी के कारण पत्तियाँ पीली पड़ना आरम्भ हो जाती हैं।
सफ़ेद कीटों की जनसंख्या पर निगरानी रखें – कीटों को स्वयं गिनें अथवा पौधों को हुए नुकसान के आधार पर जनसंख्या घनत्व के पैमानों पर नज़र रखें। पौधों को हिलाएं और झींगुरों तथा कीटों को हाथ से एकत्रित करें। गन्ने के खेत में जाल के रूप में पेड़ों को लगाएं। जाले वाले पेड़ कीटों को लुभाने के लिए मारे या गिराए जाते हैं जहाँ उन्हें आसानी से नष्ट किया जा सकता है। काजू सबसे उपयुक्त है, क्योंकि यह खराब मिट्टी में भी उगता है तथा काजू का उत्पादन करता है जो किसान की आय बढ़ा सकता है। प्राकृतिक शत्रु, जैसे कि केम्पसोमेरिस एसपीपी. का समावेश करें। संक्रमण को नियंत्रित रखने के लिए ब्युवेरिया वाले जैव-कीटनाशकों का प्रयोग करें।
हमेशा समवेत उपायों का प्रयोग करना चाहिए, जिसमें रोकथाम के उपायों के साथ जैविक उपचार, यदि उपलब्ध हो, का उपयोग किया जाए। रोपाई के समय क्लोरोपायरिफ़ोस तथा अन्य कीटनाशकों का प्रयोग करें। सर्वाधिक प्रभावी उपचार के लिए, कीटनाशक को ढकने से पूर्व जड़ों के भाग में लगाना चाहिए।
लार्वा के विकास के तीनों चरणों के दौरान, उनके खाने के कारण जड़ों को क्षति पहुँचती है, किन्तु तीसरी अवस्था में ये बहुत अधिक खाता है। सफ़ेद कीटों द्वारा की गई हानि कीटों की संख्या तथा उनके विकास चरण और आक्रमण के समय गन्ने की विकास की आवस्था पर निर्भर करती है। जब छोटे गन्नों पर आक्रमण होता है, तो दोबारा रोपाई आवश्यक हो जाती है। पुराने गन्ने पर आक्रमण से उपज में कमी आती है। लार्वा क्रीम जैसे सफ़ेद रंग के तथा C की आकृति के होते हैं। ऐसी ख़बर है कि प्रत्येक बसावट में चार से पांच तीसरी अवस्था के लार्वा आर्थिक हानि कर सकते हैं।