कपास

कपास के बदबूदार भूरे कीट

Euschistus servus

कीट

संक्षेप में

  • बीजकोष धब्बेदार तथा चटाई से ढके हुए होते हैं।
  • बीज सिकुड़े हुए हो सकते हैं।
  • छोटे बीजकोष गिर सकते हैं।
  • बीजकोष की कार्पेल की भीतरी दीवारों पर मस्से नुमा बढ़त दिखाई देती है।

में भी पाया जा सकता है

11 फसलें

कपास

लक्षण

बदबूदार कीट कपास के बीजकोषों तथा कोपलों को खा कर पलते हैं। वे मुख्यतः पुराने बीजकोषों पर आक्रमण करते हैं जो बाद में धब्बेदार तथा चटाई से ढके हुए हो जाते हैं। आक्रमण किये गए बीजकोषों के बीज सिकुड़े हुए होते हैं और हो सकता है कि बीजकोष खुल भी न पाएं। यदि नए बीजकोष क्षतिग्रस्त होते हैं, तो वे गिर भी सकते हैं। बाहरी घाव कार्पेल की भीतरी दीवारों पर मस्से जैसी बढ़त के साथ जोड़े जा सकते हैं जहाँ से आक्रमण होता है। बीजों के खाए जाने के कारण कपास का कम उत्पादन होता है तथा खाए जाने के स्थान के लिंट दाग़दार हो जाते हैं, जो कि गुणवत्ता में कमी को दर्शाता है। बदबूदार कीट बीजकोषों को सड़ाने वाले जीवों के संक्रमण के कारण भी होते हैं।

सिफारिशें

जैविक नियंत्रण

परजीवी टेकीनिड मक्खियाँ तथा कीट बदबूदार कीटों के अण्डों पर अंडे देते हैं और उनके लार्वा बाद में निकलने वाले कीटों को खाते हैं। पक्षी तथा मकड़ियाँ भी संक्रमण को रोकने में सहायता कर सकती हैं। युक्लिप्टस यूरोग्रेंडिस का तेल भी कीटों तथा उनके बच्चों के लिए विषैला होता है।

रासायनिक नियंत्रण

हमेशा समवेत उपायों का प्रयोग करना चाहिए जिसमें रोकथाम के उपायों के साथ जैविक उपचार, यदि उपलब्ध हो, का उपयोग किया जाए। पायरेथ्रोइड समूह के कीटनाशकों से बीजों का उपचार किये जाने से कुछ नियंत्रण तथा अंकुरों में हानि को रोका जा सकता है। डिक्रोटोफ़ोस तथा बाईफ़ेंथ्रिन पर आधारित कीटनाशकों का पत्तियों पर उपयोग करने से जनसंख्या नियंत्रण में सहायता मिल सकती है।

यह किससे हुआ

वयस्क संरक्षित क्षेत्रों जैसे कि गड्ढों के किनारों, बाड़ की कतारों, तख्तों तथा मृत खर-पतवार के नीचे ,सतह, पत्थरों तथा पेड़ों की छालों के नीचे शीत ऋतु में जीवित रहते हैं। वे वसंत के पहले गर्म दिनों में सक्रिय हो जाते हैं जब तापमान 21 डिग्री से ऊपर होता है। आम तौर पर प्रथम पीढ़ी जंगली धारकों पर बढ़ती है, जबकि दूसरी पीढ़ी आम तौर पर कृषि की फसलों पर विकसित होती हैं। प्रत्येक मादा 100 दिनों से कम के समय के अंतराल में 18 अण्डों के समूह, औसतन 60 अंडे देती है। वयस्क मज़बूत उड़नशील होते हैं तथा आसानी से खर-पतवारों तथा अन्य धारकों के मध्य गमन करते हैं।


निवारक उपाय

  • सर्वोच्च जनसंख्या से बचने के लिए जल्द रोपाई करें।
  • नियमित रूप से निगरानी रखें तथा खेतों को खर-पतवार से बचा कर रखें।
  • फसल कटने के बाद खेतों से पौधों के अवशेषों को हटा दें।
  • जुताई न करने के प्रचलन या गीली घास की उपस्थिति संक्रमण के लिए अनुकूल होती है।
  • खेतों के बीच अवरोधों से कीटों के विस्थापन को कम करने में सहायता मिलती है।

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