बाजरा

तना छिद्रक (स्टेम बोरर)

Acigona ignefusalis

कीट

संक्षेप में

  • यह उगते हुए सिरों व उगती हुई पत्तियों पर हमला करता है।
  • इसका लार्वा लाल-भूरे सिर व सफ़ेद शरीर के साथ 20 मि.मी. का होता है।
  • ये गुच्छों में अण्डे देता है और इनका रंग पीला होता है।

में भी पाया जा सकता है

1 फसलें

बाजरा

लक्षण

तना छिद्रक (स्टेम बोरर) का लार्वा बाजरे की पत्तियों और पत्तियों के सिरों पर हमला करता है। लार्वा टहनियों में छेद कर देते हैं, जिसके कारण अंततया पौधे की मृत्यु हो जाती है। पूर्ण रूप से विकसित लार्वा लगभग 20 मि.मी. लंबा होता है और उसका सिर लाल-भूरे रंग का होता है और शरीर सफ़ेद रंग का होता है, जिस पर काले रंग के धब्बे भी हो सकते हैं। वयस्क पतंगे के सफ़ेद रंग के पंख होते हैं जिनका फैलाव लगभग 8 से 15 मि.मी. तक होता है। स्टेम बोरर गुच्छों में पत्ती पर अण्डे देते हैं और उनका रंग पीला होता है।

सिफारिशें

जैविक नियंत्रण

आप तना छिद्रकों की संख्या को फ़ेरोमोन चारा जालों की सहायता से कम कर सकते हैं। इन जालों को बाड़ों (मुख्यतया जब उनका निर्माण मकई की टहनियो या अन्य घासों से किया गया हो) व अन्न-भंडारों के साथ लगाया जाना चाहिए। मौसम में संक्रमित पौधों पर शीघ्र प्रयोग करने से नीम का तेल तना छिद्रकों पर प्रभावी हो सकता है। इसमें ‘पुश-पुल‘ विधि काफ़ी प्रभावी हो सकती है। बाजरे के साथ बीच की फसल के रूप में डेसमोडियम की फ़सल को लगाया जा सकता है। डेसमोडियम एक निरोधक के रूप में कार्य करता है, जिसके कारण पतंगे बाजरे से दूर रहते हैं (पुश)। आप अपने खेतों की सीमा पर नेपियर या सुडान जैसी घासों की फ़सलों को जाल की तरह लगा सकते हैं। ये पौधे पतंगों को आकर्षित करते हैं, जिसके कारण वे बाजरे से दूर और इन जाल फ़सलों की ओर खींचे चले जाते हैं (पुल)।

रासायनिक नियंत्रण

कीटनाशकों का उपयोग करना अक्सर मुश्किल तथा खर्चीला होता है। डीमेथोएट का प्रयोग किया जा सकता है, किन्तु इसकी भी कीमत थोड़ी ही कम है।

यह किससे हुआ

नमीदार क्षेत्रों में प्रतिवर्ष लार्वा की तीन पीढ़ियाँ होती हैं, जबकि शुष्क क्षेत्रों में दो पीढ़ियाँ होती हैं। स्टेम बोरर टहनी में छेद कर देता है, जिसके कारण जड़ से बाकी के पौधे में पानी व पौषण का प्रवाह बाधित हो जाता है। स्टेम बोरर का लार्वा फसल के अवशेष में जीवित रहता है।


निवारक उपाय

  • अगर स्थानीय रूप से उपलब्ध हों, तो रोग-प्रतिरोधी प्रजातियों का प्रयोग करें।
  • संक्रमण से बचने के लिए फसलों को शीघ्र लगाएं।
  • लोबिया जैसी गैर-धारक फ़सलों को धारक पौधों के बीच लगाएं।
  • खेत के चारों ओर फूलों की क्यारियों को लगाकार प्राकृतिक शत्रुओं की संख्या को प्रोत्साहित करें।
  • अगर ढांचों का निर्माण करने के लिए तनों का उपयोग किया जाता है, तो उन्हे आंशिक रूप से जला दें।
  • फसल की कटाई के बाद अवशेषों को साफ़ करके नष्ट कर दें।

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