Eotetranychus carpini
घुन
मौसम के आरम्भ में लताओं के पीले घुन के भक्षण के कारण हुई क्षति से अनियमित विकास, पत्तियों तथा कलियों में विकृति या उनका सूखना देखा जाता है। गांठो के मध्य का कम स्थान भी एक विशेषता है। विकास की बाद की अवस्थाओं में, आक्रमण की विशेषता पत्तियों पर शिराओं के सहारे लाल या कत्थई धब्बों का दिखना है। जैसे-जैसे घुनों की संख्या बढ़ती है, ये लक्ष्ण पत्ती के शेष हिस्से पर भी फैल जाते हैं, जिसके बाद ऊतकों में हरितहीनता तथा परिगलन दिखाई देता है। इसके कारण प्रकाश-संश्लेषण की दर कम हो जाती है, जिससे अंततः बेरियों या फलों के पकने में देरी, उनमे शर्करा की कम मात्रा तथा उपज मे कमी देखी जाती है। जल्द संक्रमण विशेष रूप से हानिकारक होता है चाहे घुनों की संख्या कम ही क्यों न हो।
घुनों की कुछ प्रतिरोधी प्रजातियों, विशेषतः प्राकृतिक शिकारी केम्पिमोड्रोमस एबेरांस का उपयोग, एटेट्रानिकस करपिनी की जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है। परंतु, घुन को नियंत्रित करने वाले रासायनिक उपचार इस शिकारी को भी मार देते हैं। सूक्ष्म पायरेट घुन की कुछ प्रजातियाँ या फूलों के कीट (एंथोकोरिडे) हॉर्नबीम घुन का भक्षण करते हैं और संक्रमण को नियंत्रित करने का एक उपाय हो सकते हैं।
हमेशा एक समन्वित उपयोग पर विचार करें, जिसमें रोकथाम के उपायों के साथ जैविक उपचार, यदि उपलब्ध हो, का समावेश हो। एकेरीसाइड के दो प्रयोगों का उपयोग कीटों को मारने के लिए किया जा सकता है, पहला कलियों के निकलने पर तथा दूसरा जब शाखाएं 10 सेंटीमीटर लम्बी हों। मुख्य एकेरीसाइड में शामिल हैं एक्रिनेथ्रिन, क्लोफ़ेंटेज़ाइन, साईहेक्साटिन, डाईकोफ़ोल, फ़नाज़ेक्विन, फ़ेनब्युटाटिन-ऑक्साइड, हेक्सिथियाज़ॉक्स, पायरिडाबेन तथा टेबुफ़ेनपायरेड। ये उत्पाद प्राकृतिक शिकारियों, केम्पिमोड्रोमस एबेरांस, को भी प्रभावित करते हैं। कुछ कीटनाशकों का घुनों पर भी प्रभाव होता है। गर्मियों की आबादी को करीब 12 दिनों के अंतर पर 2 बार इस्तेमाल करके नियंत्रित किया जा सकता है।
लक्षण लताओं के पीले घुन, एटेट्रानिकस करपिनी, के कारण होते हैं जो लताओं या आड़ू जैसी महत्वपूर्ण फसलों को संक्रमित करते हैं। मादाओं का शरीर लम्बाकार होता है और वे हलके से ले कर नीम्बू जैसे पीले रंग की होती हैं। ये शाखाओं की छालों के नीचे समूह में सर्दियां बीताती हैं। जब पहली कलियाँ निकलती हैं, ये बाहर निकलकर करीब दस दिनों तक नई कलियों को खाती हैं। उसके बाद ये पत्तियों की निचली सतह पर महीन रेखा में गोलाकार, पारदर्शी अंडे देती हैं। ये कीटडिंभ वहां बड़े झुण्ड में, पतले जाल से सुरक्षित पाए रहते हैं। वे शिराओं के साथ पत्तियों द्वारा उत्पादित रस का भक्षण करते हैं। मादाओं का जीवनकाल (12 से 30 दिन) तथा पीढ़ियों की संख्या (5 से 6) तापमान तथा पत्तियों की अवस्था पर निर्भर करती हैं। इनके विकास के लिए आदर्श तापमान 23 डिग्री से. तक होता है।