Xanthomonas vasicola pv. vasculorum
बैक्टीरिया
लक्षण आम तौर पर पहले निचली छतरी पर विकसित होते हैं और अनुकूल परिस्थितियों में ऊपर की ओर बढ़ते हैं। पत्तियों पर संकरी, नारंगी-कत्थई या पीली-भूरी धारियाँ विकसित होती हैं। ये पारदर्शी होती हैं और इनके किनारे लहरदार और पीले से रंग के होते हैं जो पत्तियों पर पीछे से प्रकाश पड़ने से विशेष तौर पर स्पष्ट हो जाते हैं। कुछ मामलों में, घाव पहले मध्य या ऊपरी छतरी में दिखाई दे सकते हैं। लक्षण संकर किस्मों के बीच बहुत अलग होते हैं और छोटे घावों से लेकर पत्ती के 50% तक के क्षेत्र को घेरते हुए बड़े भी हो सकते हैं। इसका दानों को भरने तथा उपज पर भी प्रभाव पड़ सकता है। पत्तियों के कटे हुए हिस्सों से एक चिपचिपे पदार्थ का रिसाव इस रोग का एक अन्य चिन्ह है।
आज तक, इस रोग के नियंत्रण के लिए कोई जैविक नियंत्रक उपाय उपलब्ध नहीं है। इसको रोकने तथा इसकी तीव्रता कम करने के लिए निरोधात्मक उपाय आवश्यक हैं। यदि आपको इसके उपचार के बारे में कोई जानकारी हो, तो हमें सूचित करें।
यदि उपलब्ध हो, तो हमेशा निवारक उपायों और जैविक उपचार के संयोजन वाले एक एकीकृत दृष्टिकोण पर विचार करें। इस रोग को नियंत्रित करने के लिए कोई रासायनिक नियंत्रण विकल्प उपलब्ध नहीं हैं।
लक्षण, ज़ेन्थोमोनस वैसिकोला, रोगजनक वेस्कुलोरम, एक जीवाणु के कारण होते हैं, जो संक्रमित पौधों के अवशेषों में वर्ष भर जीवित रह सकता है। यह स्वस्थ पौधों तक वर्षा के छींटों और हवा द्वारा विकास के आरंभिक चरण में फैलता है। संक्रमित पौधों के अवशेष भी विभिन्न खेतों के मध्य खेती के उपकरणों, खेतिहर उपकरणों, या डंठलों के खिलाये जाने से पहुंचते हैं। ये पौधों के ऊतकों में सीधे बिना किसी पूर्व घाव के प्रवेश कर सकते हैं। यदि संवेदनशील फसलों की बुआई की जाए और बचाव का कोई उपाय न किया जाए, तो संक्रमण एक ही खेत मे कई वर्षों तक बना रह सकता है। रोग के विकास के लिए अनुकूल पर्यावरण परिस्थितियां उच्च सापेक्षिक आर्द्रता, अधिक वर्षा तथा लंबे समय तक पत्तियों का गीलापन है। ऊपरी सिंचाई तथा गर्म मौसम में की गई सिंचाई से भी रोग के प्रकोप में वृद्धि देखी गई है।