Dickeya zeae
बैक्टीरिया
मक्का के जीवाणुजनित तना सड़न रोग के विशेष लक्षणों में पत्तियों, पत्ती आवरण और तने की गांठों का रंग उड़ना है। इसके बाद रोग तेज़ी से पूरे तने में फैलकर अन्य पत्तियों में फैल जाता है। ऊतकों के सड़ने पर दुर्गंध आती है और पौधे का ऊपरी हिस्सा आसानी से बाकी हिस्से से अलग किया जा सकता है। तना पूरी तरह सड़ जाता है और कभी-कभी ऊपरी हिस्सा गिर जाता है। तने को लंबाई में काटा जाए तो देखा जा सकता है कि अंदर का रंग उड़ा हुआ है और चिपचिपी सड़न दिखती है जो गांठों पर ज़्यादा होती है। क्योंकि जीवाणु एक पौधे से दूसरे में नहीं फैलता, रोग वाले पौधे अक्सर पूरे खेत में छितरे हुए मिलते हैं। परंतु, कुछ कीट वाहकों द्वारा एक से दूसरे पौधे में रोग फैलने की भी सूचना है। मक्के में यह रोग तब देखा जाता है जब रुक-रुक कर भारी वर्षा होती है, और उसके बाद उच्च तापमान और आर्द्र परिस्थितियां उपस्थित रहती हैं।
फ़िलहाल, ई. क्रिज़ेन्थमी से निपटने के लिए कोई जैविक नियंत्रण उपाय नहीं हैं। अगर आपको किसी उपाय की जानकारी है, तो हमें सूचित करें।
हमेशा एक समेकित दृष्टिकोण से रोकथाम उपायों के साथ उपलब्ध जैविक उपचारों का इस्तेमाल करें। सिंचाई के पानी में क्लोरीन मिलाने या ब्लीचिंग पाउडर से मिट्टी को भिंगोने (33% क्लोरीन, 10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से) की सलाह दी जाती है। कॉपर ऑक्सिक्लोराइड युक्त उत्पाद भी रोग के खिलाफ़ प्रभावी होते हैं। अंत में, 80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से दो ख़ुराकों में MOP का उपयोग भी लक्षणों की गंभीरता को कम करता है।
लक्षणों का कारण जीवाणु इर्विनिया क्रिज़ेन्थमी है, जो ज़मीन के ऊपर केवल डंठलों के अवशेषों में सर्दियां बिताता है पर एक वर्ष से ज़्यादा जीवित नहीं रह पाता है। जीवाणु के बीजों से फैलने का कोई सुबूत नहीं है। 32-35° सेल्सियस तापमान और हवा में ज़्यादा नमी रोग को बढ़ावा देते हैं। लगातार बारिश और स्प्रिंकलर से सिंचाई करने से पत्तियां लंबे समय तक गीली रहती हैं और झुरमुटों में पानी जमा हो जाता है। पानी गर्म होने पर पौधे के ऊपकों को क्षति पहुंचने से छिद्र बन सकते हैं जिनके माध्यम से संक्रमण हो सकता है। ज़्यादा तापमान और ज़्यादा सिंचाई वाले पौधों में पहले उनके आधार के आसपास लक्षण विकसित हो सकते हैं। सिंचाई का पानी रोगाणुओं का प्राथमिक स्रोत माना जाता है। जीवाणु पौधे में फैलकर अन्य गांठों को संक्रमित कर सकता है, लेकिन ये आसपास के पौधों में बिना कीट वाहकों की मदद के नहीं फैलता है।