Acidovorax avenae
बैक्टीरिया
रोग अधिकांशतः नई तथा मध्यम आयु की पत्तियों में होता है | लम्बे, संकरे, एक समान तथा पानी से हरे रंग की धारियाँ सबसे पहले मध्यशिरा तथा पतियों के किनारों के नीचे की ओर होती हैं | रोग की बाद की अवस्था में, धारियाँ पूरी पत्तियों पर फैल जाती हैं, बड़ी हो कर आपस में मिल जाती हैं और पहले हलके तथा बाद में गहरे लाल रंग की (परिगलित) हो जाती हैं | पत्तियाँ मुरझा जाती हैं, सड़ जाती हैं तथा एक तेज़ अप्रिय गंध छोड़ती हैं | जैसे-जैसे सड़न तने में पहुँचती है, गांठों के मध्य बड़े छिद्र बन जाते हैं | रोग की बाद की अवस्थाओं में सिरे तथा पुष्पगुच्छ बार-बार टूट जाते हैं और भूमि पर गिर जाते हैं | इस लक्षण को सिरों की सड़न कहते हैं |
एसिडोवोरेक्स एवेने. के विरुद्ध इस समय तक कोई वैकल्पिक उपचार ज्ञात नहीं है।
हमेशा समवेत उपायों का प्रयोग करना चाहिए, जिसमें रोकथाम के उपायों के साथ जैविक उपचार, यदि उपलब्ध हो, का उपयोग किया जाए प्राथमिक संक्रमण से बचने के लिए | उचित कवकनाशक द्वारा बीजों का 15 से 20 मिनट तक उपचार किया जा सकता है |
जीवाणु उच्च आर्द्रता तथा उच्च तापमान पसंद करता है | प्राथमिक प्रसार मिट्टी तथा रोग-ग्रस्त सेटों के द्वारा होता है, जबकि द्वितीयक प्रसार हवा, वर्षा के छींटों तथा मिट्टी से होता है |