WDV
वाइरस
गेहूं के बौना वायरस द्वारा संक्रमण में पौधे का विकास रुक जाता है, झाड़ जैसी आकृति हो जाती है, और पत्तियों और पौधों की संख्या कम हो जाती है। पत्तियों में क्लोरोसिस की शृंखला होती हैं जो बाद में पूरे पत्ते को निगल सकती हैं। कम बालियाँ विकसित होती हैं और मौजूदा बाँझ या छोटी रह जाती हैं। वायरस लीफ़हॉपर वेक्टर सामोटेटिक्स एलिनस द्वारा प्रेषित होता है, जो अपने मुंह के हिस्सों से गेहूं के वनस्पति भागों से फ्लोएम रस चूस लेता है, जिससे वायरस प्रेषित होता है।
इस विषाणु के लिए किसी भी प्रकार का जैविक नियंत्रण ज्ञात नहीं है। यदि आप किसी उपाय को जानते हैं तो कृपया हमसे संपर्क करें। हम आपसे जानकारी प्राप्त करने की प्रतीक्षा करेंगे।
हमेशा समवेत उपायों का प्रयोग करना चाहिए जिसमे रोकथाम के उपायों के साथ जैविक उपचार, यदि उपलब्ध हो, का उपयोग किया जाए। कीटनाशकों के प्रयोग की तभी सलाह दी जाती है जब कीटों की अत्यधिक संख्या पाई गयी हो।| विषाणु के नियंत्रण के लिए बीजों का इमिडाक्लोप्रिड से प्रसंस्करण पर्याप्त है। विषाणु के फैलाव को रोकने के लिए गेंहूं के पौधों का पायरेथ्रोइड या अन्य कीटनाशकों से उपचार किया जा सकता है।
इसके लक्षण एक विषाणु द्वारा आरम्भ होते हैं जो लीफहॉपर कीट सामोटेटिक्स एलिनस के द्वारा गैर-आग्रही तरीके से संप्रेषित होते हैं। हालांकि, विषाणु रहित हॉपर के खाने से रोग नहीं फैलता है। विषाणु को प्रेषित करने के लिए हॉपर को पौधे को कई मिनटों तक चूसना होता है। पी. एलिनस प्रति वर्ष 2-3 पीढियां पूरी कर लेता है, शीत ऋतु के गेंहूं को पतझड़ में तथा ग्रीष्म ऋतु के गेंहूं को वसंत में संक्रमित करता है। लीफ़हॉपर सर्दियों में अण्डों के रूप में जीवित रहते हैं और लार्वा की पहली पीढ़ी मई में दिखाई देती है। विषाणु अण्डों तक या कीट के निम्फ तक प्रेषित नहीं होता है। बौना गेहूं विषाणु अन्य अनेक अनाजों जैसे कि बाजरा, जौ और राई को भी संक्रमित करता है।