गेहूं

बौने गेंहूं का विषाणु(वीट ड्वार्फ वायरस)

WDV

वाइरस

संक्षेप में

  • पौधे का अवरुद्ध विकास, झाड़ियों जैसी बनावट और पौधों की कम संख्या।
  • पत्तियों में शिराओं के समांतर हरित हीनता के लक्षण जो बाद में पूरी पत्ती में फैल जाते हैं।
  • बालियाँ कम होती हैं, और उनमें से जो मौजूद होती हैं उनके दाने छोटे होते हैं और कभी-कभी बंजर भी होते हैं।

में भी पाया जा सकता है

1 फसलें

गेहूं

लक्षण

गेहूं के बौना वायरस द्वारा संक्रमण में पौधे का विकास रुक जाता है, झाड़ जैसी आकृति हो जाती है, और पत्तियों और पौधों की संख्या कम हो जाती है। पत्तियों में क्लोरोसिस की शृंखला होती हैं जो बाद में पूरे पत्ते को निगल सकती हैं। कम बालियाँ विकसित होती हैं और मौजूदा बाँझ या छोटी रह जाती हैं। वायरस लीफ़हॉपर वेक्टर सामोटेटिक्स एलिनस द्वारा प्रेषित होता है, जो अपने मुंह के हिस्सों से गेहूं के वनस्पति भागों से फ्लोएम रस चूस लेता है, जिससे वायरस प्रेषित होता है।

सिफारिशें

जैविक नियंत्रण

इस विषाणु के लिए किसी भी प्रकार का जैविक नियंत्रण ज्ञात नहीं है। यदि आप किसी उपाय को जानते हैं तो कृपया हमसे संपर्क करें। हम आपसे जानकारी प्राप्त करने की प्रतीक्षा करेंगे।

रासायनिक नियंत्रण

हमेशा समवेत उपायों का प्रयोग करना चाहिए जिसमे रोकथाम के उपायों के साथ जैविक उपचार, यदि उपलब्ध हो, का उपयोग किया जाए। कीटनाशकों के प्रयोग की तभी सलाह दी जाती है जब कीटों की अत्यधिक संख्या पाई गयी हो।| विषाणु के नियंत्रण के लिए बीजों का इमिडाक्लोप्रिड से प्रसंस्करण पर्याप्त है। विषाणु के फैलाव को रोकने के लिए गेंहूं के पौधों का पायरेथ्रोइड या अन्य कीटनाशकों से उपचार किया जा सकता है।

यह किससे हुआ

इसके लक्षण एक विषाणु द्वारा आरम्भ होते हैं जो लीफहॉपर कीट सामोटेटिक्स एलिनस के द्वारा गैर-आग्रही तरीके से संप्रेषित होते हैं। हालांकि, विषाणु रहित हॉपर के खाने से रोग नहीं फैलता है। विषाणु को प्रेषित करने के लिए हॉपर को पौधे को कई मिनटों तक चूसना होता है। पी. एलिनस प्रति वर्ष 2-3 पीढियां पूरी कर लेता है, शीत ऋतु के गेंहूं को पतझड़ में तथा ग्रीष्म ऋतु के गेंहूं को वसंत में संक्रमित करता है। लीफ़हॉपर सर्दियों में अण्डों के रूप में जीवित रहते हैं और लार्वा की पहली पीढ़ी मई में दिखाई देती है। विषाणु अण्डों तक या कीट के निम्फ तक प्रेषित नहीं होता है। बौना गेहूं विषाणु अन्य अनेक अनाजों जैसे कि बाजरा, जौ और राई को भी संक्रमित करता है।


निवारक उपाय

  • उपलब्ध प्रतिरोधक प्रजातियों का उपयोग करें।
  • खेतों में रोज़ पत्तियों, तनों और शाखाओं पर कीटों पर नज़र रखें।
  • पौधों के संक्रमित पदार्थों को कीटों के फैलाव को रोकने के लिए जल्द से जल्द तोड़ देना चाहिए और नष्ट कर देना चाहिए।
  • खेतों में से खर-पतवार और वैकल्पिक धारक फसलों को हटाते रह कर स्वच्छता बनाई रखनी चाहिए।
  • फसल काटने के बाद पौधों के अवशेषों को हटा देना चाहिए।
  • कीटों की अधिकतम संख्या से बचने के लिए जल्द रोपाई करनी चाहिए।
  • संक्रमित खेतों में पौधों को पुनर्जीवित करने के लिए सामान्य से पहले उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए।

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