TMV
वाइरस
किसी भी विकास के चरण के दौरान सभी पौधों के हिस्से प्रभावित हो सकते हैं। लक्षण पर्यावरणीय स्थितियों (प्रकाश, दिन की लंबाई, तापमान) पर निर्भर करते हैं। संक्रमित पत्तियाँ हरी और पीले रंग की चित्तकबरी या मोज़ाइक पैटर्न दिखाती हैं। छोटे पत्ते थोडे़ विकृत हो जाते हैं। पुराने पत्तों पर गहरे हरे रंग के उभरे हुए हिस्से दिखाई देते हैं। कुछ मामलों में, गहरी रंगहीन धारियाँ तनों तथा डंठलों पर दिखाई देने लगती हैं। पौधे का विकास अवरुद्ध हो जाता है और फलों के समुह गम्भीर रूप से खराब हो सकते हैं। असमान रूप से पकने वाले फलों की सतह पर भूरे रंग के धब्बे हो जाते हैं, और फल की दीवार में आंतरिक, भूरे रंग के धब्बे हो जाते हैं। फसल की पैदावार काफ़ी कम हो सकती है।
बीजों को 4 दिनों के लिए 70° सेल्सियस या 24 घंटे के लिए 82-85° सेल्सियस पर गर्म कर के सुखाने से वायरस से मुक्त करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, बीज को 15 मिनट के लिए ट्राईसोडियम फॉस्फेट के 100 ग्रा/ली के विलयन में भिगोया जा सकता है। बाद में पानी के साथ अच्छी तरह से धोकर सुखा दें।
यदि उपलब्ध हो, तो जैविक उपचार के साथ बचाव के उपाय भी साथ में करें। टमाटर मोज़ाइक वायरस के खिलाफ़ कोई प्रभावी रासायनिक उपचार नहीं है।
वायरस पौधों या जड़ों के मलबे में शुष्क मिट्टी में 2 से अधिक वर्षों की अवधि (अधिकांश मिट्टी में 1 महीने) के लिए ज़िंदा रह सकता है। पौधे जड़ों में छोटे घावों के माध्यम से दूषित हो जाते हैं। यह वायरस, संक्रमित बीज, अंकुरों, खरपतवार और पौधे के दूषित भागों के माध्यम से फैल सकता है। हवा, बारिश, टिड्डी, छोटे स्तनधारी और पक्षी भी वायरस को एक खेत से दूसरे खेत तक फैल सकते हैं। पौधों की देखभाल करते समय ख़राब खेती प्रथाएं भी वायरस को फैला सकती हैं। दिन की लंबाई, तापमान और रोशनी की तीव्रता के साथ-साथ पौधे की विविधता और उम्र संक्रमण की गंभीरता निर्धारित करते हैं।