अंगूर

अंगूर की बेलों का पत्ती मुड़ना

GLD

वाइरस

संक्षेप में

  • लाल अंगूर की किस्मों में शिराओं के बीच का ऊतक गहरा लाल हो जाता है और श्वेत किस्मों में पीला हो जाता है।
  • पत्ती के किनारों का नीचे की ओर मुड़ना और प्याले जैसा आकार स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
  • बेलों की वृद्धि कम हो सकती है, तने छोटे रह सकते हैं, और छतरी कम घनी रह सकती है।

में भी पाया जा सकता है

1 फसलें

अंगूर

लक्षण

अंगूर की विभिन्न किस्मों की विषाणु के प्रति संवेदनशीलता पर निर्भर होने से, लक्षण व्यापक रूप से विविध प्रकार के होते हैं और ग्रीष्म ऋतु के अंत में अथवा पतझड़ के समय इन्हें सबसे स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। लाल अंगूरों में, पत्तियों की शिराओं के बीच के ऊतक गहरे लाल से बैंगनी रंग के हो जाते हैं, और पत्ती के किनारे नीचे की और मुड़ जाते हैं या प्याली जैसा आकार बना लेते हैं। सफ़ेद रंग की किस्मों में, किनारों के मुड़ने और प्याली जैसा आकार बनने के साथ-साथ, पत्तियों के ऊतक पीले पड़ जाते हैं। सामान्यतः मुख्य शिराएं हरी रह सकती हैं, यद्यपि कुछ स्थितियों में रंग बदलने की समस्या पत्ती के सभी ऊतकों को प्रभावित करती है। बेलों की वृद्धि कम हो सकती है, तने छोटे रह सकते हैं, और छतरी कम घनी रह सकती है। कुछ वर्षों में, रोग के परिणामस्वरूप, फलों का देर से पकना या अधपका रह जाना, शर्करा की मात्रा में कमी, दानों का रंग फीका पड़ना और अम्लता में वृद्धि होने लगती है। कुछ वर्षों में, अंगूर की बेलों की संख्या का घटना स्पष्ट देखा जा सकता है, जिसके कारण अंगूर के बगीचों का जीवनकाल प्रभावित होता है। विश्व स्तर पर अंगूर की बेलों का यह गंभीर रोग बहुत महत्व रखता है।

सिफारिशें

जैविक नियंत्रण

क्षमा करें, अंगूर की बेलों की पत्ती मुड़ने के रोग का हमारे पास कोई वैकल्पिक उपचार नहीं है। यदि आप कुछ ऐसा जानते हैं, जो इस रोग के विरुद्ध लड़ने में सहायता कर सकता है, तो कृपया हमसे संपर्क करें। हमें आपके सुझावों की प्रतीक्षा रहेगी।

रासायनिक नियंत्रण

यदि उपलब्ध हों, तो सदैव निरोधक उपायों के साथ जैविक उपचार वाला एकीकृत दृष्टिकोण अपनाएं। विषाणु जनित रोगों का उपचार रासायनिक यौगिकों से नहीं किया जा सकता है। बूँद-बूँद सिंचाई (ड्रिप सिंचाई) वाले अंगूर के बगीचों में, मिलीबग से बचने के लिए बढ़वार के मौसम के दौरान किसी भी समय कुछ मात्रा में कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है। उन बगीचों में जहाँ बूँद-बूँद सिंचाई प्रणाली नहीं है, वहां तनों और मुख्य शाखाओं पर एसिटामिप्रिड युक्त पत्तियों पर छिड़काव करने वाले उत्पादों का उपयोग किया जा सकता है। मिलीबग और मुलायम शल्कों को नियंत्रण में रखने के लिए अन्य खेती और जैविक प्रथाएं उपलब्ध हैं।

यह किससे हुआ

अंगूर की बेलों की पत्ती मुड़ने के रोग का कारण दस प्रकार के विषाणुओं का समूह होता हैं, जिन्हें एक साथ लीफ़रोल-संबंधित विषाणु कहा जाता है। वनस्पति का प्रसार, पौधों की संक्रमित सामग्री को अन्य स्थानों पर ले जाने एवं कलम बांधने से रोग दूर के स्थानों तक फैल सकता है। इसके अलावा, दो रोगवाहक कीड़े, मिलीबग और मुलायम शल्क (सॉफ़्ट स्केल), भी उन्हें स्थानीय रूप से बेलों के मध्य और अन्य बगीचों में संचारित कर सकते हैं। ये विषाणु छँटाई या फसल काटने वाले यंत्रों द्वारा फैलते हों ऐसा ज्ञात नहीं होता हैं, न ही यह जानकारी है कि ये बीजों द्वारा संचारित होते हैं। अंगूर में पत्ती मुड़ने के रोग के लक्षण पोटेशियम और फ़ॉस्फ़ोरस की कमी के लक्षणों से मिलते-जुलते हैं। इसलिए, प्रबंधन सम्बन्धी निर्णय करने से पूर्व संक्रमण को सुनिश्चित करना आवश्यक है।


निवारक उपाय

  • यदि आपके देश में लागू हों, तो संगरोध सम्बन्धी नियमों पर ध्यान दें।
  • पत्ती मुड़ने के रोग के विषाणु (लीफ़रोस वायरस) से रहित होने की प्रमाणिकता वाली पौधरोपण सामग्री का उपयोग करें।
  • यदि उपलब्ध हों, तो प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग करें।
  • रोग के लक्षणों का पता लगाने के लिए अंगूर के बाग़ का नियमित निरीक्षण करें।
  • पत्ती मुड़ने के रोग को सुनिश्चित करने के लिए, मिलीबग और मुलायम शल्कों की उपस्थिति की जाँच करें।
  • संदेह की स्थिति में, विषाणु के विषय में जानने के लिए, अपने अंगूर के पौधों की प्रयोगशाला में जांच करवाएं।
  • विषाणु से प्रभावित बेलों को जड़ तंत्र सहित हटा दें व नष्ट कर दें।
  • ऊपर की और कलमबन्दी न करें क्योंकि ऐसा करने पर जड़ें आदि संक्रमित हो सकती हैं।
  • संक्रमण की संभावना वाले पौधों के भाग अन्य बग़ीचों तक न ले जाएँ।

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