पपीता

रिंग स्पॉट विषाणु

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वाइरस

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संक्षेप में

  • फलों पट गहरे हरे छल्ले।
  • पत्तियों पर पीले मोज़ाइक जैसी बनावट।
  • तने और शाखाओं पर पानी से भरे हुए धब्बे और धारियाँ।

में भी पाया जा सकता है

6 फसलें
करेला
खीरा
खरबूज
पपीता
और अधिक

पपीता

लक्षण

संक्रमण के समय पौधे की आयु, पौधे की जीवन शक्ति तथा विषाणु की शक्ति पर निर्भर करते हुए लक्षणों में थोड़ा अन्तर आ सकता है। पहले पत्तियों पर गहरे हरे रंग की छाले जैसी बनावट दिखाई देती है। बाद में, ये बढ़ कर हरे के विभिन्न रंगों में धब्बेदार बनावट में बदल जाते हैं। रोग की बाद की अवस्थाओं में, पत्तियों पर जूते के फीते जैसी बनावट दिखती है और पीले तथा भूरे रंग के परिगलित धब्बों का मोज़ाइक का नमूना दिखता है। पत्तियों का आकार बहुत छोटा हो जाता है, जिसके कारण अवरुद्ध विकास तथा छतरी छोटी होती है। तनों तथा डंठलों पर पानी से भरे हुए हरितहीन धब्बे तथा तैलीय चित्तियाँ दिखाई देते हैं। संक्रमित फलों में अनेक, गहरे हरे, प्रायः धंसे हुए, तैलीय छल्लों के धब्बे दिखाई देते हैं और फल छोटे आकार और विकृत आकृति के हो जाते हैं। यदि संक्रमण जल्द हुआ हो, तो फल बिक्री लायक नहीं रहते।

Recommendations

जैविक नियंत्रण

एफ़िड द्वारा विषाणु के ग्रहण तथा प्रसार को रोकने के लिए 1% घनत्व के सफ़ेद तेल इमल्शन का छिड़काव करें। लाभप्रद सूक्ष्मजीवों के मिश्रण, जैसे कि कुछ प्रकार के बैक्टीरिया, यीस्ट, एक्टिनोमाइसेट तथा फ़ोटोसिंथेटिक बैक्टीरिया रोग की संभावना को कम कर सकते हैं।

रासायनिक नियंत्रण

हमेशा समवेत उपायों का प्रयोग करना चाहिए, जिसमें रोकथाम के उपायों के साथ जैविक उपचार, यदि उपलब्ध हो, का उपयोग किया जाए। विषाणु के संक्रमण के लिए सीधे तौर पर कोई रासायनिक उपचार नहीं है। फिर भी, डाईमैथोएट या एज़ाडीरेक्टिन का पत्तियों पर छिड़काव एफ़िड की जनसंख्या को कम कर सकता है। प्रथम लक्षणों के दिखाई देने के बाद स्प्रे का प्रयोग हर पखवाड़े में करें।

यह किससे हुआ

विषाणु का प्रसार विभिन्न प्रजातियों के एफ़िड द्वारा गैर-निरंतर तरीके से होता है। चूंकि इसका एफ़िड में गुणन नहीं होता है इसका पौधे से पौधे में संक्रमण बहुत कम समय में होना आवश्यक है (एक मिनट से अधिक नहीं)। विषाणु के अनेक वैकल्पिक धारक हैं, जैसे की तरबूज़ और अन्य क्युकरबिट, किन्तु इसका अपेक्षित लक्ष्य पपीता है। किसी बागीचे में संक्रमण तेज़ी से फैलता है यदि पंखों वाले एफ़िड की बड़ी जनसंख्या उपस्थित हो। ठंडा मौसम भी पत्तियों पर इसके लक्षणों को और खराब कर सकता है (मोज़ाइक स्वरूप और विकृति)।


निवारक उपाय

  • स्वस्थ पौधे या प्रमाणित स्त्रोत से लिए गए बीजों का प्रयोग करें।
  • उपलब्ध प्रतिरोधक पौधों को खोजें।
  • ऐसे क्षेत्रों में रोपाई करें जो रोगमुक्त होने के लिए जाने जाते हों।
  • बागीचे के आसपास गैर-धारक फसलें, जैसे कि मक्का या हिबिस्कस सब्डारिफ़ा, को लगायें।
  • उस क्षेत्र में क्युकरबिट पौधों को लगाने से बचें।
  • एफ़िड की सर्वोच्च जनसंख्या से बचने के अनुरूप ही रोपाई का समय समायोजित करें।
  • विषाणु से प्रभावित पौधों को हटा दें।
  • खेत में तथा खेत के आसपास खर-पतवारों को नियंत्रित रखें।
  • कीटों द्वारा वीषाणु के प्रसार को रोकने के लिए जाल का प्रयोग करें।
  • लक्षणों को बिगड़ने से रोकने के लिए अच्छे उर्वरकों का प्रयोग सुनिश्चित करें।

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