Fusarium/Aspergillus/Phytophthora/Rhizopus/Diplodia
फफूंद
कपास में कवकीय सड़न रोग के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं। शुरू में, कपास के नए हरे बीजकोषों पर छोटे-छोटे भूरे या काले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं, जो बाद में पूरे बीजकोष पर फैल जाते हैं। प्रभावित बीजकोष गहरे भूरे से काले रंग के और मुलायम हो जाते हैं और गीले दिखाई दे सकते हैं। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, यह अंदरूनी ऊतकों में फैल जाता है जिससे बीज और रेशे सड़ने लगते हैं। गंभीर मामलों में, कवक के कारण बीजकोष जल्दी खुल सकते हैं, जिससे कपास के रेशे दागदार और खराब निकलते हैं। नमी की परिस्थितियों में, बीजकोष पर कवक उगते हुए दिख सकता है।
केवल जैविक और जीव-वैझानिक तरीकों का उपयोग करके कपास के बीजकोष के सड़न को पूरी तरह से रोक पाना मुश्किल है। शोधकर्ता ट्राइकोडर्मा विरिडे जैसे विकल्पों पर काम कर रहे हैं, लेकिन यह अभी तक व्यावसायिक उपयोग के लिए उपलब्ध नहीं है।
रोग को फैलने से रोकने के लिए पत्तियों और बीजों पर कॉपर ऑक्सीक्लोराइड और मेन्कोज़ेब का छिड़काव करें। इसके अलावा, विभिन्न रोगाणुओं से लड़ने के लिए फ़्लुक्सापायरोक्सैड और पाइराक्लोस्ट्रोबिन को मिलाकर सस्पेंशन घोल बनाएं। रोग के दिखते ही इस मिश्रण को लगाएं और इससे पूरी तरह छुटकारा पाने के लिए 15 दिन के बाद उपचार को दोहराएं। कीटनाशकों या किसी भी रासायनिक उत्पाद का उपयोग करते समय सुरक्षात्मक कपड़े पहनना और लेबल पर दिए गए निर्देशों को ध्यान से पढ़ना ज़रूरी है। नियम देश के अनुसार अलग हो सकते हैं, इसलिए अपने क्षेत्र के विशिष्ट दिशानिर्देशों को ज़रूर फॉलो करें। यह सुनिश्चित करता है कि हर कोई सुरक्षित है और इसके उपयोग के सफल होने की संभावना बढ़ जाती है।
कपास के बीजकोष में सड़न मिट्टी और बीज में मौजूद कई तरह के फफूंद के कारण होती है। नाइट्रोजन और पानी के बहुत ज्यादा इस्तेमाल, बारिश और उच्च नमी से जोखिम बढ़ जाता है। यह रोग पौधे के निचले हिस्से में मौजूद बंद बीजकोषों में ज़्यादा होता है और आमतौर पर बुवाई के लगभग 100 दिन बाद दिखाई देता है। बीजकोषों पर कवक और जीवाणु उन दरारों या चोटों से प्रवेश करते हैं, जो अक्सर बॉलवॉर्म और रेड कॉटन बग जैसे कीटों के कारण होते हें। यह रोग संक्रमित बीजकोषों पर उपस्थित कवक के बनाए गए हवा में फैलने वाले कवक बीजाणुओं से भी फैल सकता है।