Neofabraea spp.
फफूंद
उपवनों में मशीनों की मदद से की गई कटाई के बाद लक्षण दिखाई देते हैं। पत्तियों पर लक्षण ख़ासतौर पर सर्दियों के अंत में और शुरुआती वसंत के दौरान दिखाई देते हैं। पत्ती के घाव लगभग 3 से 4 मिमी व्यास और थोड़े धंसे हुए रहते हैं। ये शुरू में छोटे गोल हरिमाहीन (पीले) घावों के रूप में होते हैं। वसंत और शुरुआती गर्मियों में ये घाव परिगलन में बदल जाते हैं। चोटिल शाखाओं में 0.5 से 3 सेंटिमीटर के फोड़े दिखते हैं, जिससे डालियाँ सूख जाती हैं। भारी संक्रमण में पत्तियाँ पूरी तरह झड़ सकती हैं और आगे के मौसम में उत्पादन पर प्रभाव पड़ सकता है। फलों पर पीले घेरों वाले गहरे रंग के हल्के धंसे हुए धब्बे उभर आते हैं।
आजतक, कोई प्रभावी जैविक नियंत्रण उपाय उपलब्ध नहीं है।
यह विशेष समस्या कुछ सालों से दिखने लगी है। रासायनिक नियंत्रण पर अध्ययन फ़िलहाल जारी हैं। इस समस्या के लिए कटाई के बाद सुरक्षात्माक स्प्रे एक समाधान हो सकते हैं। छंटाई और कटाई के मशीनी उपकरणों की भूमिका पर शोध की ज़रूरत है। अपने स्थानीय कृषि वैज्ञानिक से अपने क्षेत्र के बारे में ताज़ा जानकारी हासिल करें।
नियोफैब्रिया और फ़्लायक्टेमा प्रजाति दोनों ही इस रोग से संबंधित हैं। जहां भी जैतून उद्योग ने उत्पादन को बढ़ाने और तेज़ करने के लिए उपाय अपनाएं हैं, वहाँ जैतून के बागों में हाल के वर्षों में लक्षणों में काफ़ी वृद्धि हुई है। छंटाई और कटाई के मशीनीकरण से पत्तियों, टहनियों और शाखाओं में घावों की संख्या बढ़ जाती है। संक्रमण होने के लिए घाव की ज़रूरत होती है।