मक्का

मक्के की पत्तियों के धब्बे

Cochliobolus lunatus

फफूंद

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संक्षेप में

  • हल्के आभामंडल या मृत स्थान के साथ पत्तियों पर छोटे धब्बे।
  • बदरंग होना, खाली दाने और बीजों पर घाव।

में भी पाया जा सकता है


मक्का

लक्षण

आरंभ में, पत्तियों पर हल्के रंग के आभामंडल के साथ छोटे मृत स्थान दिखाई देने लगते हैं जो व्यास में 0.5 सेंमी. तक पहुँच सकते हैं। अत्यधिक संक्रमण होने पर पूरी पत्तियों में पीलापन आ सकता है। बीजों पर घाव तथा फफूँद दिखाई देती है, जिसके कारण अंततः अंकुरों में पाला लग सकता है अथवा बीजों से अंकुरण नहीं होता है। पत्तियों पर परिगलन के स्थानों के साथ असामान्य रंग दिखाई देता है। बीजों का बदरंग होना, बीजों पर घाव, फफूँद या सड़न दिखाई दे सकती है।

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जैविक नियंत्रण

आज तक, इस रोग के विरुद्ध हम किसी भी प्रकार के जैविक नियंत्रक उपाय का पता नहीं लगा पाए हैं। यदि आप इसके लक्षणों के प्रकोप या तीव्रता को कम करने का कोई सफल उपाय जानते हैं, तो कृपया हमसे संपर्क करें।

रासायनिक नियंत्रण

हमेशा निरोधात्मक उपायों के साथ, यदि उपलब्ध हों, तो जैविक उपचार के समन्वित उपयोग पर विचार करें। मेंकोज़ेब, क्लोरोथेलोनिल तथा मानेब जैसे कवकरोधकों का उपयोग करें।

यह किससे हुआ

लक्षणों का कारण सी. ल्युनेटस का कवक होता है। संक्रमण हवा से फैलने वाले कोनिडिया तथा एस्कोस्पोर, बारिश की छींटों तथा सिंचाई से होता है, तथा मिट्टी में पुरानी फसल के अवशेषों में जीवित रह सकता है। यह रोग ऊष्ण, आर्द्र स्थानों में अधिक होता है जहाँ पर तापमान श्रेणी 24-30 डिग्री सेल्सियस रहता है।


निवारक उपाय

  • रोपाई के लिए उपलब्ध रोगमुक्त बीजों तथा प्रतिरोधी प्रजातियों का उपयोग करें।
  • दानों में फफूँद की मात्रा कम रखने के लिए जल्द कटाई करें।
  • प्रत्येक मौसम के बाद फसल के अवशेषों को हटा दें तथा नष्ट कर दें।

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