पिस्ता

अल्टरनेरिया लेट ब्लाइट (पछेती झुलसा)

Alternaria alternata

फफूंद

संक्षेप में

  • पत्तियों पर काले केंद्रों वाले गहरे भूरे, फैले हुए और चूर्ण जैसे धब्बे या निशान।
  • पत्तियों का सूखना और जल्दी झड़ना।
  • फलों पर भूरे, गोलाकार परिगलित धब्बे, जो लाल रंग से घिरे होते हैं।
  • जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं, उन पर फफूंदी लगने लगती है।

में भी पाया जा सकता है

1 फसलें
पिस्ता

पिस्ता

लक्षण

लक्षण आमतौर पर गर्मियों में दिखते हैं और पत्तियों पर लगभग 3 से 7 मिमी व्यास के कोणीय या गोलाकार धब्बे इसकी विशेषता हैं। कुछ गंभीर मामलों में या ख़ासतौर पर संवेदनशील किस्मों में, धब्बे व्यास में 3 सेंटीमीटर जितने बड़े हो जाते हैं। पत्तियों की डंठल और मुख्य नसों पर भी काले घाव दिखाई देते हैं। गंभीर संक्रमण के कारण पत्तियां मुरझाकर गिर सकती हैं। कच्चे फलों पर हल्के भूरे या काले धब्बे दिखाई देते हैं। पके हुए फलों पर, धब्बे थोड़े बड़े हो जाते हैं (व्यास में 1 से 5 मिमी) और लाल रंग से घिरे रहते हैं। फलों पर फफूंदी लगने लगती है, जिससे वे सड़ने लगते हैं। गंभीर मामलों में, यह फल की गुणवत्ता को काफ़ी कम कर देता है।

सिफारिशें

जैविक नियंत्रण

प्रभावित भागों की छंटाई के बाद पेड़ों और कलमों पर बोर्डो मिश्रण का छिड़काव करें। वैकल्पिक रूप से, पत्तियों और फलों पर लहसुन या हॉर्सटेल का मिश्रण लगाएं। कवक शिकारी, बैसिलस सब्टिलिस, पर आधारित घोल का उपयोग भी किया जा सकता है।

रासायनिक नियंत्रण

अगर उपलब्ध हों तो हमेशा निवारक उपायों और जैविक उपचार के मिलेजुल कीट प्रबंधन पर विचार करें। इस रोग के विरुद्ध उपचार गर्मियों की शुरुआत में, फलों के पकने से पहले शुरू कर देने चाहिए। सक्रिय घटक थियोफ़ेनेट-मिथाइल, मानेब, कॉपर पर आधारित उत्पाद अच्छा काम करते हैं। संक्रमण को कम करने के लिए कम से कम दो बार उपचार करना पड़ेगा। उपचार की प्रभावशीलता लगाने के समय, पेड़ की उम्र के अनुसार समायोजन और अनुशंसित खुराक के उपयोग पर निर्भर करती है।

यह किससे हुआ

लक्षण का कारण ऑल्टरनेरिया प्रजाति के तीन तरह के कवक हैं, जिसमें ऑल्टरनेरिया ऑल्टरनेटा शामिल है। ये मिट्टी या पौधे के कचरे पर सुप्तावस्था में रहते हैं। अनुकूल परिस्थितियाँ होने पर, ये बीजाणु पैदा करते हैं जो हवा और बारिश से संवेदनशील पेड़ों तक पहुँच जाते हैं। ओस सहित उच्च नमी, कभी बारिश और कभी धूप होने के साथ उच्च तापमान, तथा पोषक तत्वों की कमी पिस्ता में रोग के विकास के मुख्य कारण हैं। लक्षणों के कारण इसे बोटरियोस्फ़ेरिया डोथिडिया के कारण होने वाले मंजरी और नई टहनियों का झुलसा रोग माना जा सकता है। इनमें अंतर करने के लिए, नमी के दौरान प्रभावित पत्तियों को रगड़ें। अगर ये उंगलियों को काला कर देती है, तो यह ऑल्टरनेरिया ऑल्टरनेटा के कारण पछेती झुलसा है।


निवारक उपाय

  • कम संवेदनशील किस्मों और प्रमाणित स्रोतों से स्वस्थ बीज का इस्तेमाल करें।
  • छतरी में वायु की आवाजाही को अच्छा रखने के लिए पेड़ों के बीच दूरी रखें।
  • रोग के पहले संकेतों के लिए बाग की नियमित निगरानी करें।
  • बाग में मौजूद खरपतवार उखाड़ कर फेंक दें।
  • पहले लक्षण दिखते ही प्रभावित हिस्सों को काट कर जला दें।
  • सुप्तावस्था के समय, छतरियों को हवादार रखने के लिए पेड़ों की छंटाई करें।
  • छिड़काव करके सिंचाई नहीं करें, विशेष रूप से फल पकने के दौरान।
  • फसल के बाद के अवशेषों को हटाकर जला दें।
  • सबसे ज़रूरी यह है कि इन पौधों के हिस्सों से खाद नहीं बनाएं क्योंकि ये बीमारी को दूसरे मौसम में ले जाएंगे।

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