अनार

अनार का टहनी मार रोग (एन्थ्रेक्नोज़)

Glomerella cingulata

फफूंद

संक्षेप में

  • पीले प्रभामंडल से घिरे काले धब्बे।
  • बाद में चरण में पूरी पट्टी को ढँक लेता है।
  • समयपूर्व झड़ना।
  • फलों पर सूखा, लाल भूरा, काला रंग आजाना।
  • टहनियाँ, शाखाएं गिरना और मृत होना।

में भी पाया जा सकता है

1 फसलें

अनार

लक्षण

कवक विभिन्न प्रकार के लक्षण पैदा करता है जो प्रभावित ऊतकों और मौसम पर निर्भर करते हैं। पत्तियों, तनों, फूलों और फलों पर बहुत छोटे, धंसे हुए, विभिन रंगों के धब्बे दिखाई देते हैं जो प्रायः पीले रंग के स्पष्ट से आभामंडल से घिरे होते हैं। पत्तियों पर धब्बे बाद में बढ़कर दाग़ बना लेते हैं और सतह का बड़ा हिस्सा घेर लेते हैं। पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और असमय झड़ कर पतझड़ लाती हैं। फलों पर धब्बे कत्थई से गहरे कत्थई रंग के, पहले गोलाकार, बाद में बढ़कर असमान हो जाते हैं। फल बाद में मुलायम हो जाता है और बीजों के खोल में सड़न पैदा हो जाती है जो गहरे भूरे या काले रंग की होती है लेकिन उसमें पानी नहीं भरा होता है। एन्थ्रेक्नोज़ टहनियों और शाखाओं पर भी हमला करता है और इसके कारण कैंकर बन जाते हैं जो धंसे हुए, फूले हुए किनारे वाले संक्रमित ऊतक होते हैं। तनों में संक्रमण कभी-कभी उसे चारों ओर से घेर लेता है और तना मर जाता है।

सिफारिशें

जैविक नियंत्रण

ज्ञात जैविक नियंत्रक कारक प्रतिस्पर्धात्मक कवक एस्परजिलस फ्लेवस, हाइपोक्रिया रूफा, हाइपोनेक्ट्रिया ट्यूबरकुलेरिफोर्मिस और नेक्ट्रिला म्युलेरी हैं। इनमें से सिर्फ पहला ही वास्तविक प्रतिद्वंद्वी है। अन्य परजीवी या रोगकारक हैं।

रासायनिक नियंत्रण

हमेशा एक समेकित दृष्टिकोण से रोकथाम उपायों के साथ-साथ उपलब्ध जैविक उपचारों को अपनाएं। पहला निवारक छिड़काव फूल आने की शुरुआत पर मौसम परिस्थितियाँ कवक के अनुकूल होने पर किया जा सकता है। इसके बाद आवश्यक होने पर 15 दिनों के अंतराल पर दो बार छिड़काव करें। सक्रिय सामग्री प्रोपिकोनैजॉल, मैंकोज़ेब या मैंकोज़ेब और ट्राईसाइक्लाजॉल के मिश्रण हैं। सिर्फ अनार के लिए पंजीकृत कवकनाशकों का छिड़काव करें। प्रतिरोध उत्पन्न होने से रोकने के लिए निर्दिष्ट सांद्रता का पालन और कवकनाशकों को अलग-अलग तरह से इस्तेमाल करना महत्वपूर्ण है।

यह किससे हुआ

लक्षण कवक ग्लोमेरेला सिंगुलेटा के कारण होते हैं। यह मिट्टी की सतह पर पौधों के अवशेषों या सूखे हुए फलों में सर्दी भर जीवित रहता है। वसंत में इसके बीजाणु वर्षा के छींटों या हवा से फैलकर आसपास की टहनियों और शाखाओं को संक्रमित करते हैं। सर्वाधिक संवेदनशील अवस्था फूल आने और फलों के विकास की होती है। पेड़ों के काँटे, कीटों और पशुओं के कारण लगे घाव संक्रमण को बढ़ावा देते हैं। लगातार वर्षा, अधिक नमी ( 50-80%) और 25-30 डिग्री सेल्सिसय तापमान कवक के जीवन-चक्र को बढ़ावा देते हैं। हालांकि यह सूखे मौसम में प्रायः निष्क्रिय रहता है। हल्का संक्रमण भी फलों की सतह को क्षति पहुँचाता है और उसका भंडारण समय कम कर देता है। अन्य मेजबान आम, अमरुद और पपीता हैं।


निवारक उपाय

  • प्रमाणित स्रोतों से स्वस्थ पौधा सामग्री का इस्तेमाल करें।
  • अपने क्षेत्र में उपलब्ध सहनशील किस्मों का इस्तेमाल करें।
  • अच्छे वायु संचार के लिए पौधों के बीच पर्याप्त दूरी रखें।
  • खेतों में अच्छे जल-निकास की व्यवस्था करें और भूमि के ऊपर से सिंचाई न करें।
  • पत्तियों के खुलने और वसंत की वर्षा रुकने के बाद उर्वरकों का इस्तेमाल करें।
  • उपज पर प्रभाव न पड़ने देने के लिए अपनी फसल को समुचित उर्वरक प्रदान करें।
  • खेतों में उच्च स्तर की स्वच्छता अपनाएं, जैसे कि खर-पतवार प्रबंधन।
  • पौधों को मशीनों या कार्य करने के दौरान क्षति से बचाएं।
  • रोग के संकेतों के लिए अपने पौधों या खेतों की निगरानी करें, विशेषकर फूल खिलने और फलों के विकसित होने के समय।
  • सर्दियों में छंटाई करें तथा छंटाई उपकरणों को कीटाणुमुक्त कर लें।
  • बढ़वार के मौसम और पतझड़ में गिरी हुई पत्तियों, टहनियों और शाखाओं को एकत्र कर हटा दें।

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