गेहूं

टेक ऑल

Gaeumannomyces graminis

फफूंद

संक्षेप में

  • काली पड़ी हुई जडें, तने और हरितहीन निचली पत्तियां।
  • खेत में कुपोषित पौधों पर सफ़ेद धब्बे।
  • नुचे हुए दाने और पौधे मिट्टी में से आसानी से उखाड़े जा सकते हैं।

में भी पाया जा सकता है

2 फसलें

गेहूं

लक्षण

टेक-ऑल रोग कवक जी. ग्रेमिनिस के कारण होता है, जिसके आरंभिक लक्षण जड़ों तथा तनों के ऊतकों का काला होना और विशिष्ट हरितहीन निचली पत्तियां होते हैं। यदि पौधे इस चरण से जीवित बच जाते हैं, तो वे कमज़ोर हो कर बढ़ते हैं या बिलकुल नहीं बढ़ते और जड़ों में काले घाव दर्शाते हैं जो बाद में ऊपरी ऊतकों तक पहुंच जाते हैं। जड़ों के ऊतकों के साथ काले रंग के कवक का विकास नज़र आता है। अत्यधिक वर्षा के क्षेत्रों तथा सिंचित खेतों में इस रोग के कारण कई सफ़ेद बालियों वाले गेहूं के पौधों के बड़े समूह बनने लगते हैं। पौधों को मिट्टी से आसानी से खींचा जा सकता है क्योंकि उनकी जड़ों में बहुत अधिक गलन होती है, और वे इस चरण तक लगभग काली पड़ जाती हैं। संक्रमित पौधे नुचे हुए दाने उत्पन्न करते हैं, जो प्रायः काटने लायक नहीं रहते।

सिफारिशें

जैविक नियंत्रण

सूडोमोनस परिवार के विभिन्न जीवाणु रोगवाहक को प्रभावी रूप से दबाते हैं। वे प्रतिजैविक या एंटीबायोटिक का उत्पादन करते हैं तथा लौह जैसे आवश्यक पोषक तत्वों के लिए प्रतिद्वंदिता करते हैं। जीवाणु उत्पन्न करने वाले फ़ेनाज़ाइन या 2, 4 डायासिटायलफ़्लोरोग्लुसिनोल टेक-ऑल रोग के विरुद्ध प्रभावी सिद्ध हुए हैं। प्रतिरोधी कवक प्रजातियों का भी प्रयोग किया जा सकता है, उदाहरण के लिए, गैर-रोगजनक ग्युमेनोमाइसेस ग्रेमिनिसस प्रजाति ग्रेमिनिस। ये गेहूं के बीजों को ढाक देते हैं और रोगजनक के विरुद्ध प्रतिरोध बढ़ाते हैं।

रासायनिक नियंत्रण

हमेशा समवेत उपायों का प्रयोग करना चाहिए, जिसमें रोकथाम के उपायों के साथ जैविक उपचार, यदि उपलब्ध हो, का उपयोग किया जाए। जी. ग्रेमिनिस को नष्ट करने के लिए सिल्थियोफ़ेम तथा फ़्लुक्विनकोनाज़ोल वाले कवकरोधकों का प्रयोग किया जा सकता है। स्टेरोल-रोधक कवकरोधी तथा स्ट्रोबिलुरिन का प्रयोग भी टेक-ऑल के लक्षणों को दबाने में प्रभावी हैं।

यह किससे हुआ

इसके लक्षण कवक ग्युमेनोमाइसेस ग्रेमिनिस के कारण होते हैं, जो दो फ़सलों के मध्य पौधौं के अवशेषों में या मिट्टी में जीवित रहते हैं। यह जीवित धारकों की जड़ों को संक्रमित करते हैं और जैसे-जैसे जड़ें मरती हैं ये मृत ऊतकों पर बस जाते हैं और इससे भोजन ग्रहण करते हैं। यह तब फलते-फूलते हैं जब फसल काटने और नए पौधों को रोपे जाने के मध्य अपेक्षकृत कम समय (सप्ताह या कुछ महीने) रखा जाता है। बीजाणु हवा, पानी, पशुओं और खेती के औज़ारों और मशीनों के द्वारा फैलते हैं। ये जीवाणु प्रतिद्वंदियों के प्रति अपेक्षाकृत अधिक संवेदनशील होते हैं और मिट्टी के देशी सुक्ष्म जीवियों के साथ जीवित नहीं रह पाते। यह ऊष्मा से निष्क्रिय भी हो जाते हैं।


निवारक उपाय

  • यदि उपलब्ध हों, तो प्रतिरोधी प्रजातियाँ उपजाएं।
  • गर्म, नम जलवायु में गेहूं सिर्फ़ हर दूसरे वर्ष लगाएं, सर्द जलवायु में हर तीसरे वर्ष लगाएं।
  • हर दूसरे वर्ष में चावल के साथ चक्रीकरण जीवाणुओं को पानी भरने से नष्ट कर देता है।
  • पहली फसल के कटने के बाद नए गेहूं की बुआई में दो सप्ताह की देर करें।
  • अन्य जीवों के सूक्ष्मजीवी दवाब को बढ़ाने के लिए मिट्टी की सावधानीपूर्वक जुताई करें।
  • पर्याप्त मात्रा में उर्वरक डालें, विशेषकर फ़ॉस्फ़ोरस, मैंगनीज़, ज़िंक और नाइट्रोजन।
  • खेतों में अच्छी जलनिकासी सुनिश्चित करें।

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