Colletotrichum truncatum
फफूंद
एन्थ्राक्नोज़ प्रायः बिना किसी लक्षण के सोयाबीन के तने, फलियों और पत्तियों को संक्रमित कर सकता है। हो सकता है कि लक्षण सिर्फ़ प्रजनन विकास की अवस्था में ही दिखाई दें। जब मौसम गर्म और नम होता है, तनों और फलियों पर असामान्य छोटे काले धब्बे दिखने लगते हैं। ये धब्बे छोटे काले धब्बों से स्वयं भी ढके हो सकते हैं। पत्तियां मुड़ने लगती हैं और शिराएं भूरी हो जाती हैं। बहुत अधिक संक्रमित फलियों में छोटे, फफूंद लगे हुए बंजर बीज पैदा होते हैं। छोटे पौधों में जल्द हुए संक्रमण से वे मर जाते हैं।
अब तक एन्थ्राक्नोज़ के लिए कोई जैविक उपचार उपलब्ध नहीं है।
हमेशा समवेत उपायों का प्रयोग करना चाहिए जिसमें रोकथाम के उपायों के साथ जैविक उपचार, यदि उपलब्ध हो, का उपयोग किया जाए। यदि 5 प्रतिशत से अधिक बीज संक्रमित हैं, तो फफूंदरोधक के प्रयोग की सलाह दी जाती है। क्लोरोथेलोनिल, मेंकोज़ेब, कॉपर स्प्रे या प्रोपिकोनाज़ोल और प्रणालीगत फफूंदरोधक थियोफ़ेनेट-मीथाइल का प्रयोग किया जा सकता है।
इस रोग के कारक पौधों के अवशेषों पर एक वर्ष से अधिक तक जीवित रह सकते हैं। संक्रमित अवशेषों पर उत्पन्न बीजाणु हवा तथा वर्षा द्वारा ऊपरी पत्तियों तक फैलते हैं। आम तौर पर संक्रमण तब होता है जब पत्तियों पर नमी, वर्षा या ओस का समय प्रतिदिन 12 घंटे से अधिक होता है। हालांकि, रोग का पैदावार पर कम असर होता है, लेकिन पौधों तथा बीजों की गुणवत्ता कम हो सकती है। अनुकूल परिस्थितियों वाले प्रदेशों में (नम मिट्टी, गर्म तथा नम मौसम), फसल को नुकसान अधिक हो सकता है।