Fusarium oxysporum
फफूंद
केले की प्रजाति, रोगाणुओं और पर्यावरणीय स्थितियों के आधार पर लक्षण थोड़े भिन्न हो सकते हैं। यह रोग पुरानी पत्तियों को पहले प्रभावित करता है और धीरे-धीरे ऊपर की ओर नई पत्तियों की तरफ़ बढ़ता है। इस रोग को पीली व लटकी हुई पत्तियों व डंठलों और टहनी के आधार के फटने के द्वारा पहचाना जाता है। रोगग्रस्त पत्तियाँ भूरी पड़कर सूख जाती हैं और अंततः डंठल पर, टहनी के चारों ओर एक ‘‘स्कर्ट” बनाते हुए लटक जाती हैं। पीली से लेकर लाल धारियाँ टहनियों पर दिखाई देती हैं, जो आधार पर अधिक गहरी हो जाती हैं। तिरछा काटने पर दिखता है कि आंतरिक ऊतकों का रंग लाल से लेकर काले-भूरे रंग को हो गया है, जो फफूंद के बढ़ने व ऊतकों के सड़ने का संकेत होता है। अंततः, भूमि के ऊपर व नीचे के सभी भाग सड़कर मर जाते हैं।
मिट्टी में ट्राइकोडर्मा विराइड फफूंद या सूडोमोनास फ़्लोरेसेन्स जीवाणु जैसे जैविक रूप से नियंत्रित अभिकर्ताओं का प्रयोग करना इस रोग के फैलाव व रोग की गंभीरता को कम करने की प्रभावी विधि है।
अगर उपलब्ध हो तो, जैविक उपचारों के साथ रक्षात्मक उपायों वाले एक संयुक्त दृष्टिकोण पर हमेशा विचार करें। अन्य फफूंद से होने वाले रोगों के विपरीत केले में, एक बार फ़्युज़ेरियम विल्ट, का पता चलने के बाद इसे कवकनाशक से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। पौधों को विशिष्ट कवकनाशकों (10 ग्रा/10 ली पानी मे) में डुबोकर निकालने के बाद पौधे का रोपण करने के 6 महिने बाद से आरंभ करके प्रत्येक दूसरे महिने मिट्टी भिगोने का सुझाव दिया जाता है।
पनामा रोग (फ़्युज़ेरियम विल्ट भी कहलाता है) फ़्युज़ेरियम, ओक्सीपोरम फफूंद की उप-प्रजातियों के कारण होता है, जो दशकों तक भूमि में जीवित रह सकता है। यह पौधे में जड़ों के सूक्ष्म रेशों के ज़रिये प्रवेश करता है, यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो हल्की, अच्छी तरह जल-निकासी की सुविधा रहित भूमि के अनुकूल होते हैं। ये कम दूरीयों तक सतही पानी, वाहनों, औज़ारों और जूतों के द्वारा फैलता है। इसके विपरीत, संक्रमित पौध सामग्री वह सबसे आम तरीका है जिसके द्वारा यह रोग लंबी दूरी तक फैलता है। रोग के बढ़ने में उच्च तापमान एक महत्वपूर्ण कारक होता है। पत्तियों का हरितहीन रोग और पौधे में जीवन शक्ति की कमी टहनियों में परिवहन ऊतकों के सड़ने के कारण होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप जल व पोषण का परिवहन बाधित हो जाता है। अगर सभी स्थितियाँ पूरी होती हैं, तो केलों के लिए फ़्युज़ेरियम विल्ट अत्यंत हानिकारक रोग हो सकता है।