Trachysphaera fructigena
फफूंद
इस रोग को फलों के सिरे पर एक सूखे, भूरे से काले रंग के सड़े स्थान के पैदा होने के द्वारा पहचाना जाता है। फफूंद वास्तव में फूलों के खिलने के समय पैदा होता है और फलों के पकने की प्रक्रिया के दौरान तक बढ़ना जारी रखता है। प्रभावित स्थान भूरे-काले रंग की फफूंद से ढका होता है, जो सिगार के जले हुए अंतिम सिरे में मौजूद राख के समान दिखता है। इसी कारण इसका यह नाम पड़ा है। भण्डारण या परिवहन के दौरान रोग बढ़कर सारे फल में फैल सकता है, जिसके परिणामस्वरूप ‘‘सूखने‘‘ की प्रक्रिया आरंभ होती है। फलों का आकार असामान्य हो जाता है, उनकी सतह पर स्पष्ट रूप से फफूंद दिखाई देता है और उनके छिलके पर स्पष्ट रूप से घाव दिखाई देते हैं।
फफूंद का नियंत्रण करने के लिए बेकिंग सोडा पर आधारित छिड़काव का प्रयोग किया जा सकता है। इस छिड़काव को बनाने के लिए, 2 लीटर पानी में 50 ग्राम साबुन के साथ 100 ग्राम बेकिंग सेाडा घोलें। संक्रमण को रोकने के लिए इस मिश्रण को संक्रमित शाखाओं और उनकी नज़दीकी शाखाओं पर छिड़कें। इससे स्पर्श की सतह के पीएच स्तरों में वृद्धि होती है और फफूंद की वृद्धि अवरुद्ध हो जाती है। कॉपर कवकनाशक स्प्रे भी प्रभावी हो सकते हैं।
अगर उपलब्ध हो, तो जैविक उपचारों के साथ रक्षात्मक उपायों वाले एक संयुक्त दृष्टिकोण पर हमेशा विचार करें। अक्सर इस रोग का महत्व बहुत कम होता है और इसके लिए शायद ही कभी रासायनिक नियंत्रण की आवश्यकता होती है। प्रभावित गुच्छों पर एक बार मेन्कोज़ेब, ट्रायोफ़ेनेट मिथाइल या मेटालेक्सिल का छिड़काव किया जा सकता है, तथा बाद में उन्हें प्लास्टिक की आस्तीनों से ढका जा सकता है।
सिगार एंड रोट केलों में होने वाला एक ऐसा रोग है जो मुख्य रूप से ट्रेचीस्फ़ेरा फ्रुक्टिजेना और कभी-कभी अन्य फफूंद (वर्टिसिलियम थीयोब्रोमे) के कारण होता है। यह हवा या बारिश की बौछारों के द्वारा स्वस्थ ऊतकों तक पहुँचता है। यह फफूंद बरसाती मौसम के दौरान फूल के खिलने के चरण में केलों पर आक्रमण करता है। यह फूल के द्वारा केले को संक्रमित करता है। वहाँ से, यह बाद में फल के सिरे तक फैल जाता है और एक सूखी सड़न उत्पन्न करता है, जो सिगार की राख के समान होती है, जिसके कारण इस रोग का नाम यह पड़ा है। यह संक्रमण फल के निकले के बाद के आरंभिक दिनों और गर्म नम स्थितियों में, विशेष रूप से अधिक ऊॅंचाई वाले स्थानों व ओट वाले स्थानों पर किए गए पौध-रोपण के दौरान, आम होता है।