गन्ना

गन्ने का फफूंद (स्मट)

Sporisorium scitamineum

फफूंद

संक्षेप में

  • पौधे में काली, चाबुक जैसी बनावट विकसित हो जाती है।
  • पौधों में अवरुद्ध विकास।
  • पतली, कड़ी पत्तियां।

में भी पाया जा सकता है

1 फसलें

गन्ना

लक्षण

गन्ने के उगने के स्थान से एक काली चाबुक जैसी बनावट निकलती है और अधिकाँश मामलों में संक्रमित पौधों के ऊपर तक खिंचती है। बढ़ती हुई चाबुक जैसी बनावट पौधों के ऊतकों तथा कवकीय ऊतकों का मिश्रण होती है। कवक के बीजाणु चाबुक जैसे ऊतकों में जमा रहते हैं | बीजाणुओं के निकलने के बाद, चाबुक जैसी बनावट का केंद्र ही शेष रह जाता है। इसके अतिरिक्त, पौधे का विकास अवरुद्ध रहता है तथा पत्तियां पतली और कड़ी होती हैं।

सिफारिशें

जैविक नियंत्रण

संक्रमित डंठल तथा संक्रमित पौधों के सभी अवशेषों को हटा दें। रोगमुक्त बीज पदार्थ सुनिश्चित करने के लिए गन्ने के टुकड़ों को 52 डिग्री सेल्सियस के गर्म पानी में 30 मिनट के लिए नहलाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, आप टुकड़ों को गर्म पानी से उपचार के लिए 50 डिग्री सेल्सियस पर 2 घंटों के लिए डुबो सकते हैं।

रासायनिक नियंत्रण

यदि उपलब्ध हों, तो निवारक उपायों के साथ जैविक उपचारों के एकीकृत दृष्टिकोण पर हमेशा विचारे करें। रोपण से पहले बेंडिमिडाज़ोल जैसे कवकनाशकों से गन्ने के समूहों का उपचार खेत में इस रोग की संभावना को कम करता है।

यह किससे हुआ

रोग के बीजाणु, जो विशिष्ट चाबुक जैसी बनावट में उत्पन्न होते हैं, तेज़ हवा तथा विभिन्न कीटों द्वारा फैलते हैं। प्रसार का एक अन्य तरीका गन्ने के संक्रमित डंठलों का रोपण के लिए उपयोग करना है। ऊष्ण तथा नम परिस्थितियों में संक्रमण का ख़तरा बढ़ जाता है। संक्रमित गन्ना कई महीनों तक बिना किसी दिखाई देने वाले लक्षण के बढ़ सकता है। 2 से 4 महीनों (कभी-कभी 1 वर्ष) के बाद गन्ने के बढ़ते हुए सिरे पर “चाबुक” उत्पन्न होती है।


निवारक उपाय

  • प्रतिरोधी प्रजातियाँ लगायें।
  • रोगमुक्त रोपाई सामग्री का प्रयोग करें।
  • फसल चक्रीकरण का उपयोग करें।
  • ब्रीडर बीज उत्पादन के लिए ऊष्मा के उपचार (54 डिग्री सेल्सियस पर 150 मिनट तक नम गर्म हवा उपचार (एम. एच.ए. टी.) या 50 डिग्री सेल्सियस पर 2 घंटों के लिए गर्म पानी से उपचार) का प्रयोग करें।

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