शिमला मिर्च एवं मिर्च

फ्यूज़ेरियम विल्ट

Fusarium oxysporum

फफूंद

संक्षेप में

  • पौधों का मुरझाना।
  • पत्तियों में पीलापन।
  • तने के अंदर की हिस्सा कत्थई या लाल रंग का हो जाता है।

में भी पाया जा सकता है

24 फसलें
सेम
करेला
कैबेज(पत्तागोभी)
कैनोला
और अधिक

शिमला मिर्च एवं मिर्च

लक्षण

इस कवक के कारण हुई क्षति की बनावट फसल के अनुरूप दिखती है। कुछ मामलों में, पौधे शैशवावस्था में ही मुरझाने के चिन्ह दिखाते हैं, जिसमें पत्तियाँ पीली पड़ने लगती हैं। परिपक्व पौधों में, प्रायः पौधों के कुछ भागों में मुरझाने के चिन्ह दिखाई देते हैं। यह दिन के सबसे गर्म समय में आम है। पत्तियाँ बाद में प्रायः सिर्फ़ एक ओर से पीली पड़ने लगतीं हैं। तनों के लम्बवत भागों में अंदरूनी ऊतक, पहले आधार पर तथा फिर तनों में ऊपर की ओर कत्थई से लाल रंग में बदरंग हो जाते हैं।

सिफारिशें

जैविक नियंत्रण

कुछ फ़सलों में, फ़्युज़ेरियम विल्ट को नियंत्रित करने के लिए, रोगजनक से मुकाबला करने हेतु जीवाणु और एफ़. ऑक्सीपोरम की गैर-रोगजनक प्रजातियों जैसे अनेक जैविक नियंत्रण कारकों का उपयोग किया गया है। बीजों का उपचार करने के लिए ट्राइकोडर्मा विरिडे (10 ग्राम/किलो बीज) का उपयोग किया जा सकता है। मिट्टी के कुछ प्रकार फ़्युज़ेरियम के विकास को बाधित करते हैं। मिट्टी के पी.एच. को 6.5-7.0 पर समायोजित करने तथा नाइट्रोजन के स्त्रोत के रूप में अमोनियम के स्थान पर नाइट्रेट का प्रयोग करने से रोग की तीक्ष्णता कम की जा सकती है।

रासायनिक नियंत्रण

यदि उपलब्ध हो, तो जैविक उपचार के साथ निवारक उपायों के एकीकृत दृष्टिकोण पर हमेशा विचार करें। यदि कोई अन्य उपाय प्रभावी न हो, तो संक्रमित स्थानों पर मिट्टी पर आधारित कवकनाशी का प्रयोग किया जाना चाहिए। रोपाई या प्रत्यारोपण से पहले मिट्टी को कॉपर ऑक्सिक्लोराइड (3 ग्राम/लीटर पानी) के साथ भिंगोना भी प्रभावशाली होता है।

यह किससे हुआ

फ़्यूज़ेरियम विल्ट पौधों के परिवहन ऊतकों में बढ़ता है, जिससे पानी तथा पोषक पदार्थों की आपूर्ति प्रभावित होती है। पौधे सीधे जड़ों के सिरों तथा जड़ों पर घावों से संक्रमित हो सकते हैं। एक बार रोगजनक किसी स्थान पर स्थित हो जाता है, तो यह वहां वर्षों तक सक्रिय रह सकता है।


निवारक उपाय

  • यदि आपके इलाके में उपलब्ध हों, तो प्रतिरोधक प्रजातियों को लगाएं।
  • मिट्टी के पी.एच. को 6.5-7.0 पर समायोजित करें तथा नाइट्रोजन के स्त्रोत के रूप में नाइट्रेट का प्रयोग करें।
  • प्रभावित पौधों की निगरानी रखें तथा हटा दें।
  • अपने उपकरणों को स्वच्छ रखें तथा पौधों को क्षति पहुंचाने से बचें।
  • पोटाश उर्वरक की अनुशंसित ख़ुराक का उपयोग करें।
  • फसल कटने के बाद जुताई करें और पौधों के अवशेषों को जला दें।
  • कवक को मारने के लिए संक्रमित क्षेत्र को एक महीने तक दिन में काले प्लास्टिक के फॉयल से ढकें।
  • 5-7 वर्षों तक के चक्रीकरण से मिट्टी में कवक का स्तर कम हो सकता है।

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