सेम

पाउडरी मिल्ड्यू

Erysiphaceae

फफूंद

संक्षेप में

  • पत्तियों, तनों और कभी-कभी फलों पर सफेद से धब्बे।
  • पत्तियों के ऊपरी सतह या निचली ओर सफेद परत।
  • अवरुद्ध विकास।
  • पत्तियाँ मुरझा जातीं हैं और गिर जातीं हैं।

में भी पाया जा सकता है

36 फसलें
सेब
खुबानी
सेम
करेला
और अधिक

सेम

लक्षण

संक्रमण आमतौर पर गोलाकार चूर्ण जैसे सफेद धब्बों के रूप में आरंभ होता है जो पत्तियों, तनों और कभी-कभी फलों को प्रभावित होता है। यह आमतौर पर पत्तियों के ऊपरी हिस्से को ढकता है लेकिन निचली तरफ भी विकसित हो सकता है। फफूँद प्रकाश-संश्लेषण को बाधित करता है और इसके कारण पत्तियाँ पीली हो जातीं हैं और सूख जातीं हैं और कुछ पत्तियाँ मुड़, टूट या विकृत हो सकतीं हैं। बाद के चरण में, कलियाँ और बढ़वार सिरे विकृत हो जाते हैं।

सिफारिशें

जैविक नियंत्रण

अत्यधिक संक्रमण को रोकने के लिए सल्फर, नीम तेल, काओलिन या एस्कॉर्बिस अम्ल पर आधारित पत्तियों के स्प्रे का छिड़काव किया जा सकता है।

रासायनिक नियंत्रण

अगर उपलब्ध हों, तो हमेशा जैविक उपचारों के साथ सुरक्षात्मक उपायों के संयुक्त दृष्टिकोण पर विचार करें। पाउडरी मिल्ड्यू के प्रति ग्रहणशील/अतिसंवेदनशील फसलों की संख्या को ध्यान में रखते हुए किए एक विशिष्ट प्रकार के रसायनिक उपचार के बारे में सुझाव देना दुष्कर है। गीला करने योग्य सल्फ़र, हैक्साकोनाज़ोल, मायक्लोब्युटानिल पर आधारित कवकनाशक कुछ फसलों में फफूंद की वृद्धि को नियंत्रित करते हैं।

यह किससे हुआ

फफूंद के बीजाणु पत्तियों की कोंपलों और अन्य पौधों के अवशेषों के अंदर जाड़े का समय व्यतीत करते हैं। हवा, पानी और कीट इन बीजाणुओं को पास के पौधों तक पहुँचाते हैं। हाँलाकि यह एक फफूंद है, पाउडरी मिल्ड्यू शुष्क स्थितियों में अधिक सामान्य रूप से विकसित हो सकता है। यह 10-12° से. के बीच जीवित रहती है, लेकिन इसके लिए सबसे अनुकूल स्थितियाँ 30° से. है। डाउनी मिल्ड्यू के विपरीत, थोड़ी-सी बरसात और सुबह की नियमित ओस पाउडरी मिल्ड्यू के फैलने की गति को बढ़ा देती हैं।


निवारक उपाय

  • इस रोग की प्रतिरोधी प्रजातियों का प्रयोग करें।
  • बेहतर वायु-संचार के लिए पौधों के बीच में पर्याप्त जगह छोड़कर फसलों का रोपण करें।
  • रोग या कीट के प्रकोप को जांचने के लिए खेतों की नियमित निगरानी करें।
  • पहला धब्बा दिखाई देने पर संक्रमित पत्तियों को हटा दें।
  • संक्रमित पौधों को छूने के बाद स्वस्थ पौधों को नही छूएं।
  • पलवार या मल्च की मोटी परत भूमि से पत्तियों तक बीजाणुओं के प्रसार को रोक सकती है।
  • गैर-संवेदनशील फसलों के साथ चक्रीकरण अपनाएं।
  • संतुलित पौषण की आपूर्ति प्रदान करने वाली खाद डालें।
  • तापमान में होने वाले अत्यधिक बदलाव से बचें।
  • फसल की कटाई के बाद पौधों के अवशेषों को अच्छी तरह जुताई कर मिट्टी में गहरे दबा दें।
  • फसल कटने के बाद पौधों के अवशेषों को हटा दें।

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