जवार

Sorghum bicolor


पानी देना
मध्यम

जुताई
प्रत्यक्ष बीजारोपण

कटाई
100 - 105 दिन

श्रम
मध्यम

सूरज की रोशनी
पूर्ण सूर्य

pH मान
5.5 - 8.5

तापमान
15°C - 40°C

उर्वरण
मध्यम


जवार

परिचय

घास की प्रजाति सॉर्घम बाइकलर (Sorghum bicolor) मूल रूप से अफ्रीका में उगाई जाती थी और अब यह विश्व भर के गर्म (ट्रॉपिकल) और अर्धगर्म (सबट्रॉपिकल) क्षेत्रों में उगाई जाती है। इसके दानों का मुख्य उपयोग खाद्य, पशु चारा और जैव ईंधन के रूप में होता है। ज्वार की फसल मुख्य फसल के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और आम तौर वर्ष में एक बार उगाई जाती है। हालांकि इसकी कुछ बारहमासी किस्में भी उपलब्ध हैं।

सलाहकार

देखभाल

देखभाल

खरपतवार और कीटों की संख्या कम करने के लिए बुवाई से पहले खेतों की जुताई की जानी चाहिए। मिट्टी की जुताई बीजों की अंकुरण दर भी बढ़ाती है, मिट्टी की संरचना सुधारती है और मिट्टी का क्षरण रोकती है। ज्वार पाला के प्रति बहुत संवेदनशील है, इसलिए बुवाई अंतिम पाला पड़ने के बाद की जानी चाहिए। इसके अलावा बीजों के अंकुरण के लिए विशेष नमी स्तर की आवश्यकता पड़ती है। रोपण के दौरान सूखा पड़ने पर अंकुरण दर घट सकती है।

मिट्टी

मजबूत मुख्य फसल के रूप में ज्वार को मुख्यतः ज़्यादा चिकनी मिट्टी मात्रा वाली उथली मिट्टी में उगाया जाता है, हालांकि यह फसल बलुई मिट्टी में उग सकती है। यह pH स्तर की एक विस्तृत श्रेणी सहन कर सकती है और क्षारीय मिट्टी में भी खूब फलती-फूलती है। इसका पौधा जलजमाव और सूखा, दोनों को एक निश्चित सीमा तक सहन कर सकता है लेकिन अच्छी जलनिकासी वाली मिट्टी में सबसे अच्छी तरह उगता है।

जलवायु

ज्वार की फसल लगभग 27 से 30 डिग्री सेल्सियस के दिन के तापमान वाले गर्म स्थानों में सबसे अच्छी तरह उगती है। अगर जड़ें अच्छी तरह विकसित हो गई हैं तो यह फसल निष्क्रिय अवस्था में सूखा का सामना कर सकती है और अनुकूल परिस्थितियां आने पर दोबारा वृद्धि आरंभ कर देती है। गर्म (ट्रॉपिकल) और अर्ध गर्म (सबट्रॉपिकल) क्षेत्रों में ज्वार की फसल 2300 मीटर की ऊंचाई तक उगाई जा सकती है। पानी की ज़रूरत किस्म के अनुसार अलग-अलग लेकिन आम तौर पर मक्का से कम होती है।

संभावित बीमारियां

जवार

इसके विकास से जुड़ी सभी बाते प्लांटिक्स द्वारा जानें!


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परिचय

घास की प्रजाति सॉर्घम बाइकलर (Sorghum bicolor) मूल रूप से अफ्रीका में उगाई जाती थी और अब यह विश्व भर के गर्म (ट्रॉपिकल) और अर्धगर्म (सबट्रॉपिकल) क्षेत्रों में उगाई जाती है। इसके दानों का मुख्य उपयोग खाद्य, पशु चारा और जैव ईंधन के रूप में होता है। ज्वार की फसल मुख्य फसल के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और आम तौर वर्ष में एक बार उगाई जाती है। हालांकि इसकी कुछ बारहमासी किस्में भी उपलब्ध हैं।

मुख्य तथ्य

पानी देना
मध्यम

जुताई
प्रत्यक्ष बीजारोपण

कटाई
100 - 105 दिन

श्रम
मध्यम

सूरज की रोशनी
पूर्ण सूर्य

pH मान
5.5 - 8.5

तापमान
15°C - 40°C

उर्वरण
मध्यम

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खरपतवार और कीटों की संख्या कम करने के लिए बुवाई से पहले खेतों की जुताई की जानी चाहिए। मिट्टी की जुताई बीजों की अंकुरण दर भी बढ़ाती है, मिट्टी की संरचना सुधारती है और मिट्टी का क्षरण रोकती है। ज्वार पाला के प्रति बहुत संवेदनशील है, इसलिए बुवाई अंतिम पाला पड़ने के बाद की जानी चाहिए। इसके अलावा बीजों के अंकुरण के लिए विशेष नमी स्तर की आवश्यकता पड़ती है। रोपण के दौरान सूखा पड़ने पर अंकुरण दर घट सकती है।

मिट्टी

मजबूत मुख्य फसल के रूप में ज्वार को मुख्यतः ज़्यादा चिकनी मिट्टी मात्रा वाली उथली मिट्टी में उगाया जाता है, हालांकि यह फसल बलुई मिट्टी में उग सकती है। यह pH स्तर की एक विस्तृत श्रेणी सहन कर सकती है और क्षारीय मिट्टी में भी खूब फलती-फूलती है। इसका पौधा जलजमाव और सूखा, दोनों को एक निश्चित सीमा तक सहन कर सकता है लेकिन अच्छी जलनिकासी वाली मिट्टी में सबसे अच्छी तरह उगता है।

जलवायु

ज्वार की फसल लगभग 27 से 30 डिग्री सेल्सियस के दिन के तापमान वाले गर्म स्थानों में सबसे अच्छी तरह उगती है। अगर जड़ें अच्छी तरह विकसित हो गई हैं तो यह फसल निष्क्रिय अवस्था में सूखा का सामना कर सकती है और अनुकूल परिस्थितियां आने पर दोबारा वृद्धि आरंभ कर देती है। गर्म (ट्रॉपिकल) और अर्ध गर्म (सबट्रॉपिकल) क्षेत्रों में ज्वार की फसल 2300 मीटर की ऊंचाई तक उगाई जा सकती है। पानी की ज़रूरत किस्म के अनुसार अलग-अलग लेकिन आम तौर पर मक्का से कम होती है।

संभावित बीमारियां