देखभाल
आलू मूलतः दक्षिणी अमेरिका में एंडीज से आया है। पिछले 300 वर्षों से आलू भारत मे उगाया जा रहा है और यह यहाँ की सबसे प्रसिद्ध फसलों में से एक बन गया है। आलुओं को उनके खाने योग्य कंद की वजह से उगाया जाता है क्योंकि ये मनुष्यों के लिए कम लागत में ऊर्जा का एक स्त्रोत प्रदान करते हैं। आलू में पोषण की बहुत अधिक मात्रा होती है क्योंकि ये स्टार्च, विटामिन (मुख्यतः सी तथा बी 1) और खनिजों से भरपूर होते हैं। आलू का अनेक औद्योगिक उद्देश्यों जैसे कि स्टार्च और शराब के उत्पादन के लिए भी उपयोग किया जाता है।
मिट्टी
आलुओं को नमकीन तथा क्षारीय मिट्टी के अलावा लगभग सभी प्रकार की मिट्टियों में उगाया जा सकता है। मिट्टियाँ जो प्राकृतिक रूप से भुरभुरी हों और जो कंद के विकास में न्यूनतम प्रतिरोध करें, को वरीयता दी जाती है। पोषक तत्त्वों से भरपूर और अच्छी जलनिकासी और वायु संचरण वाली दोमट और बलुही दोमट मिट्टी आलू की फसल के लिए सर्वश्रेष्ठ होतीं हैं। 5.2 - 6.4 के पीएच स्तर वाली मिट्टियाँ आदर्श मानी जातीं हैं।
जलवायु
आलू शीतोष्ण मौसम की फसल है, हालांकि यह विभिन्न प्रकार की मौसम की परिस्थितियों में भी उगता है। यह सिर्फ उन्हीं स्थानों पर उगाया जाता है जहाँ उगने के मौसम का तापमान मध्यम ठंडा होता है। पौधे का सर्वश्रेष्ठ वानस्पतिक विकास 24 डिग्री से. के तापमान पर होता है जबकि कंद के विकास के लिए 20 डिग्री से. तापमान अनुकूल होता है। अतः, आलू का पहाड़ों में ग्रीष्म ऋतु की फसल तथा उष्णकटिबंधीय और उपउष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में शीट ऋतु की फसल के रूप में उपजाया जाता है। फसल को समुद्र तल से 3000 मी. तक कि ऊँचाई तक प्राप्त किया जा सकता है।