देखभाल
आप अपने अंगूर का उपयोग किस प्रकार करने वाले हैं, इसके आधार पर अंगूर की सही प्रजाति का चुनाव भी महत्वपूर्ण है। अपनी प्रजाति का चुनाव करने के बाद लताओं को जितना जल्द हो सके उतनी जल्दी लगा दें जिससे कि सर्दी के मौसम की तैयारी से पूर्व पौधों को स्थापित होने का समय मिल सके। लताओं को रोपाई से पूर्व 3-4 घण्टों के लिए भिगो दें। लताओं को इस प्रकार रोपें कि सबसे निचली कली मिट्टी की सतह से ज़रा सा ही ऊपर हो। आरंभ में लताओं की रोपाई के बाद सिंचाई करें और उसके बाद मिट्टी को नम बनाये रखने के लिए साप्ताहिक तौर पर सिंचाई करें। इसके साथ ही, लताओं को बढ़ने के समय किसी ढाँचे के सहारे की आवश्यकता होगी, जिससे कि वे ज़मीन की बजाय ऊपर की ओर बढ़ सकें।
मिट्टी
अंगूर अनेक प्रकार की मिट्टियों में उग सकते हैं, किंतु सबसे उत्तम प्रकार की मिट्टी बलुही दोमट मिट्टी है। अंगूरों के लिए मिट्टी में मध्यम प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। कम पोषक तत्वों वाली मिट्टी में मौसम के आरंभ में नाइट्रोजन तथा पोटैशियम देना लाभदायक होता है। अंगूर 5.5-7.0 के पीएच स्तर वाली हल्की अम्लीय परिस्थितियों में अच्छे उगते हैं। जड़ों के उत्पादन तथा फसल के रोगों से बचाव के लिये मिट्टी में अच्छी जलनिकासी वाली परिस्थितियाँ भी महत्वपूर्ण हैं।
जलवायु
अंगूर हल्की शीत और विकास के लिए लंबी, गर्म अवधि वाली जलवायु में सबसे अच्छी तरह से उगता है। अंगूर के लिए प्रतिवर्ष लगभग 710 मिमी. वर्षा की आवश्यकता होती है। बहुत अधिक या बहुत देर से होने वाली वर्षा फल के सफल उत्पादन के लिए नुकसानदायक हो सकती है। उष्ण और शुष्क तापमान वाले भूमध्यसागरीय क्षेत्र अपने अपेक्षाकृत स्थिर विकास के मौसम के कारण अंगूरों के उत्पादन में अधिक सफल हैं। अंगूर की लताओं को शारीरिक क्रियाओं की शुरुआत के लिए न्यूनतम 10 डिग्री सेल्सियस या 50 डिग्री फ़ारेनहाइट तापमान की आवश्यकता होती है। उत्पादन के दौरान रहने वाले तापमान, वर्षा तथा जलवायु के अन्य कारकों का प्रभाव अंगूर के स्वाद पर पड़ता है। यह शराब उद्योग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, और जलवायु के स्थानीय अंतर का प्रभाव अंतिम उत्पाद के स्वाद में चखा जा सकता है। साथ ही, अंगूरों की कुछ प्रजातियाँ किन्हीं विशिष्ट क्षेत्रों तथा जलवायु प्रदेशों के लिए अधिक उपयुक्त होती हैं।