देखभाल
सिट्रस रुटासी परिवार के फूलों वाले पेड़ों और झाड़ियों की एक प्रजाति है, जो दक्षिणी पूर्वी एशिया के उपशीतोष्ण तथा शीतोष्ण क्षेत्रों में पाई जाती है। आजकल भूमध्य द्रोणी, भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ यूएसए के दक्षिण में कुछ प्रजातियाँ आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, जहाँ उन्हें उपयुक्त मिट्टी तथा मौसम प्राप्त होता है। संतरा, नीम्बू, अंगूरफल और नींबू सिट्रस वृक्षों के फल हैं।
मिट्टी
सिट्रस के पेड़ों को आदर्श रूप से बढ़ने के लिए 60 सेंमी. से लेकर 1 मी. तक की अच्छी जलनिकासी वाली ऊपरी मिट्टी की आवश्यकता होती है। दोमट और बलुही दोमट अधिक पसंद की जाती हैं, खाद की आपूर्ति आवश्यक है। कम जलधारण क्षमता वाली बहुत बलुही मिट्टी में पोषक तत्वों के क्षरण का ख़तरा रहता है। चिकनी मिट्टी में गर्दन (शाखाएं जहाँ से निकलती हैं) और जड़ों की सड़न और वृक्ष की मृत्यु की आशंका रहती है। आदर्श पीएच 6.0 और 6.5 के मध्य होता है तथा 8 से ऊपर के पीएच से बचा जाना चाहिए। यदि मिट्टी के क्षरण तथा अत्यधिक जलनिकास से बचना हो, तो 15% तक की ढलान उपयुक्त होती है। वायु अवरोधों के प्रयोग की सलाह दी जाती है।
जलवायु
प्रजातियाँ ऊष्ण, शीतोष्ण क्षेत्रों में अच्छी तरह खिलती हैं, लेकिन पाले के प्रति कुछ हद तक प्रतिरोध देखा जाता है (विभिन्न प्रजातियों में भिन्नता होती है)। अगर मिट्टी में नमी का स्तर सही हो, तो सिट्रस उच्च तापमान सहन कर लेता है। पेड़ों में शीत तापमान के प्रति कुछ प्रतिरोध होता है, किन्तु सामान्यतया अधिक और नियमित पाले वाले स्थानों में इन्हें लगाने की सलाह नहीं दी जाती है। पाले के प्रति प्रतिरोध प्रजाति, पेड़ों की आयु तथा स्वास्थ्य के अनुसार भिन्न होता है। नए पेड़ बहुत हल्के से पाले से भी क्षतिग्रस्त हो सकते हैं, जबकि परिपक्व और मौसम को झेल चुका वृक्ष कुछ समय के लिए -5 डिग्री से. के तापमान को भी बर्दाश्त कर सकता है। चोटिल वृक्ष अधिक संवेदनशील होते हैं।