देखभाल
मिट्टी की आरंभिक उर्वरकता उर्वरकों की अतिरिक्त मात्रा निर्धारित करती है। काबुली चने शुष्क मिट्टी में अच्छी तरह उगते हैं और इन्हें कम पानी की आवश्यकता होती है। इसलिए इन्हें वर्षा सिंचित फसल के रूप में उगाया जा सकता है। यदि वर्षा पर्याप्त नहीं होती है, तो सिंचाई फूल तथा फलियों के विकास से पहले की जानी चाहिए। आपके खेतों में खरपतवार न्यूनतम रखने के लिए सूखी पत्तियों जैसे जैविक पदार्थों की पलवार बिछाने पर विचार किया जाना चाहिए।
मिट्टी
काबुली चने के पौधों को विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में उगाया जा सकता है किंतु बलुही से लेकर हल्की दोमट मिट्टी आदर्श होती है। मिट्टी अच्छी जलनिकासी वाली होनी चाहिए क्योंकि काबुली चने की खेती के लिए पानी जमा होना उपयुक्त नहीं है। 5.5 से लेकर 7.0 तक का पीएच स्तर काबुली चने को उपजाने के लिए आदर्श है। काबुली चने के बीजों के लिए खुरदुरी मिट्टी आवश्यक होती है और ये बहुत महीन और ढेलेदार मिट्टी में अच्छी तरह से नहीं उगते हैं।
जलवायु
नमी की अच्छी परिस्थितियों में काबुली चने का पौधा अच्छी तरह बढ़ता है। काबुली चना को उगाने के आदर्श तापमान 24 डिग्री से. और 30 डिग्री से. के बीच है। हालांकि पौधे न्यूनतम 15 डिग्री से. और अधिकतम 35 डिग्री से. तक के तापमान में भी जीवित रह सकते हैं। 650 से लेकर 950 मिमी. तक वार्षिक वर्षा आदर्श मानी गयी है।